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Diwali 2024: लो हो गया फाइनल! 31अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दिवाली ? जानें लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

उज्जयिनी विद्वत परिषद के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त ने बताया कि तिथि में एक या दो घटी घट-बढ़ जाने के कारण अंतर देखने को मिलता है। ये मतांतर स्थान और सूर्य देव के उगने और अस्त होने के समय में अंतर और शास्त्र भेद होने के कारण होता है। गृह लाघवी पद्धति के तहत 31 अक्टूबर को दीपावली (Diwali 2024 Date) मनाई जाएगी।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 18 Oct 2024 12:01 PM (IST)
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Diwali 2024: दिवाली पर्व का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही धन के देवता कुबेर देव की भी उपासना की जाती है। धार्मिक मत है कि धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा, धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। हालांकि, इस वर्ष तिथि यानी सही डेट को लेकर दुविधा है। कड़ी मंथन के बाद ज्योतिषचार्यों ने अपना निर्णय दिया है। इससे स्पष्ट हो गया है कि दिवाली कब मनाई जाएगी। आइए, दिवाली की सही डेट, शुभ मुहूर्त का पूजा गणित जानते हैं-

काशी में कब मनाई जाएगी दिवाली ?

दिवाली की तिथि को लेकर 15 अक्टूबर को बीएचयू के संस्कृत धर्म विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद, श्रीकाशी विद्वत परिषद, बनारस के पंचांगकारों, धर्मशास्त्रियों एवं ज्योतिषाचार्यों ने गहन मंथन  एवं विचार विमर्श की। इसके बाद ज्योतिषाचार्यों ने 31 अक्टूबर (Diwali 2024 Shubh Muhrat) को दिवाली मनाने का निर्णय दिया। इस बारे में और अधिक जानकारी देते हुए रामचन्द्र पांडेय ने बताया कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले शुरू होगी और 01 नवंबर को सूर्यास्त के एक घटी बाद समाप्त हो जाएगी। इसके लिए 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी। इसके लिए शास्त्रीय विधि से कोई दुविधा नहीं है। यह शास्त्र नियम उन जगहों पर लागू होता है, जहां 01 नवंबर को अमावस्या सूर्यास्त के एक घटी बाद समाप्त हो जाएगी।  

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उज्जैन में कब मनाई जाएगी ?

बाबा की नगरी उज्जैन में भी 31 अक्टूबर को ही दिवाली (Diwali 2024 Date) मनाई जाएगी। इस बारे में महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी का कहना है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर तड़के चार बजे भस्म आरती की जाती है। इस समय में दीपावली मनाई जाती है। इसके लिए महाकाल मंदिर में 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी। वहीं, कृष्ण जी की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में 31 अक्टूबर को संध्याकाल में प्रदोष काल के दौरान दीपोत्सव मनाया जाएगा।

पं. आनंदशंकर व्यास, ज्योतिषाचार्य का कहना है कि दीपावली प्रदोषकाल व मध्यरात्रि में मनाया जाने वाला त्योहार है। इस बार 31 अक्टूबर को प्रदोषकाल व मध्यरात्रि के समय अमावस्या की साक्षी रहेगी। इसलिए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना श्रेष्ठ रहेगा।

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए पं.अमर डब्बावाला, ज्योतिषाचार्य हुए कहा कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र में दो पद्धति प्रचलित है, पहली गृह लाघवीय, दूसरी चित्रा केतकी पद्धति। गृह लाघवीय पद्धति से त्योहारों की गणना श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दृष्टि से 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना सर्वथा उचित है।

इंदौर में कब मनाई जाएगी दिवाली ?

दिवाली की तिथि को लेकर असमंजस को दूर करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने कहा कि इस वर्ष 31 अक्टूबर को ही दिवाली मानना श्रेष्ठ है। स्थानीय पंचांग गणना के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और 01 नवंबर को शाम 5 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी।

उज्जयिनी विद्वत परिषद के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त ने बताया कि तिथि में एक या दो घटी (24 मिनट) घट-बढ़ जाने के कारण अंतर देखने को मिलता है। इसके चलते त्योहार मनाने की तारीख में मतांतर की स्थित बन जाती है। ये मतांतर स्थान और सूर्य देव के उगने और अस्त होने के समय में अंतर और शास्त्र भेद होने के कारण होता है। गृह लाघवी पद्धति के तहत 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी।

हरिद्वार में कब मनाई जाएगी ?

धर्मनगरी हरिद्वार में 01 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। इसके लिए उत्तराखंड ज्योतिष परिषद कार्यालय में ज्योतिषाचार्यों के मध्य विचार विमर्श की गई। इस बैठक में 01 नवंबर को दिवाली मनाने का फैसला लिया गया। इस बारे में आचार्य रमेश सेमवाल ने कहा कि निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु एवं मुहूर्त चिंतामणि के गणना के पश्चात यह निर्णय लिया गया कि हरिद्वार में एक नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। दिवाली की तिथि पर ज्योतिषाचार्यों ने सर्वसम्मति से 01 नवंबर के पक्ष में सहमति जताई है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।