दीपावली: लक्ष्मी पूजन विधि, मुहूर्त, आरती, सामग्री सूची
प्रत्येक साल कार्तिक अमावस्या पर दीवाली (Diwali Puja Samagri List 2024) का पर्व मनाया जाता है। इस बार कार्तिक अमावस्या आज यानी 31 अक्टूबर को है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस वर्ष कई मंगलकारी योग में दीवाली मनाई जा रही है। दीवाली के शुभ मुहूर्त से लेकर पूजन विधि के लिए हमारी खबर पढ़िए।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 31 Oct 2024 06:19 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दीपावली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। साथ ही धन के देवता कुबेर देव की भी उपासना की जा रही है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी अवतरित हुई थीं। इस उपलक्ष्य पर हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाती है। वहीं, त्रेता युग में भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद घर लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर दीवाली मनाई थी। तत्कालीन समय से हर वर्ष दीवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही दीप जलाए जाते हैं। धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Laxmi Puja Vidhi) करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर जागरण लेकर आया है सारी जानकारी।
(दीवाली की तस्वीर यहां डाउनलोड करें)
दीवाली पूजा मुहूर्त (Maa Laxmi Pujan Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और 01 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 31 अक्टूबर को दीवाली मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस समय में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।
पूजा विधि
साधक गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध करें। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की नवीन प्रतिमा स्थापित करें। अब ध्यान मंत्र और आवाहन मंत्र का पाठ करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान या शास्त्र नियमों का पालन कर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करें। पूजा के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी को फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, अखंडित चावल, बताशा, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल, सुगंधित द्रव्य और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ, लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्र जप करें। पूजा के अंत में आरती करें।
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