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Diwali Significance And Katha: क्या है दिवाली का महत्व, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Diwali Significance And Katha दिवाली को रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में जब रावण का वध कर भगवान श्री राम अयोध्या लौट रहे थे तो अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर स्वागत किया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 14 Nov 2020 09:02 AM (IST)
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Diwali Significance And Katha: क्या है दिवाली का महत्व, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Diwali Significance And Katha: दिवाली को रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, त्रेतायुग में जब रावण का वध कर भगवान श्री राम अयोध्या लौट रहे थे तो अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर स्वागत किया था। ऐसे में भगवान श्री राम के इसी स्वागत को हर साल लोग इस त्यौहार के रूप में मनाते हैं। वहीं, दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इस दिन लोग अपने घर अच्छी तरह से सफाई करते हैं और अपने घर के मुख्य द्वार पर रंगोली भी बनाते हैं। साथ ही पूरे घर को दीपों से सजाया जाता है और मां लक्ष्मी के आगमन का स्वागत करते हैं।

इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद खील और बतासे का प्रसाद बांटा जाता है। इस दिन लोग पटाखे भी जलाते हैं। साथ ही लोग अपने गहनों,पैसों और बहीखातों की भी पूजा करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में वास होता है और धन की कोई कमी घर में नहीं होती है। आइए पढ़ते हैं दिवाली की कथा।

दिवाली की कथा:

एक गांव में एक साहूकार और उसकी बेटी रहती थी। वह रोजाना पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। इस पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था। फिर एक दिन ऐसा हुआ कि लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी ने कहा कि वो अपने पिता से पूछकर बताएगी। जब उसने अपने पिता से यह पूछा तो उन्होंने हां कर दी। फिर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को सहेली बनने के लिए सहमती दे दी। इसके बाद साहूकार की बेटी और मां लक्ष्मी अच्छे मित्र बन गए।

फिर एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गईं। मां लक्ष्मी ने उसका स्वागत उनके घर में किया। उसे भोजन कराया। साहूकार की बेटी वापस अपने घर लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने कहा कि वो उन्हें अपने घर पर बुलाएगी। इस पर लड़की ने उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण दे दिया। लेकिन साहूकार की हालत सही नहीं थी। लड़की को लगा कि वो ठीक तरह से उनका स्वागत नहीं कर पाएंगी।

साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा। वो समझ गया था कि उसकी बेटी क्यों परेशान है। साहूकार ने कहा कि तू मिट्टी से चौका लगा और साफ-सफाई कर। साथ ही चार बत्ती के मुख वाला दिया भी जलाए। इसके बाद लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जाए। इस दौरान एक चील आई और लड़की के पास किसी का नौलखा हार छोड़कर चली गई। फिर लड़की ने उस हार को बेचा और भोजन की तैयारी की। फिर कुछ देर बाद लक्ष्मी जी श्री गणेश के साथ आईं। लड़की ने उनकी खूब सेवा की और इससे लक्ष्मी जी बेहद प्रसन्न हुईं। लक्ष्मी जी ने प्रसन्न होकर साहूकार को बहुत अमीर बन दिया।

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