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Chanakya Niti: गलती से भी इन 5 महिलाओं का न करें अपमान, वरना देखते ही देखते हो जाएंगे कंगाल

Chanakya Niti आचार्य चाणक्य की मानें तो राजा की पत्नी मां समान होती हैं। इनकी हमेशा सेवा करनी चाहिए। इससे आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। भूलकर भी राजा की धर्मपत्नी का अपमान नहीं करना चाहिए। अगर गलती से भी अपमान हो जाए तो तुरंत माफी मांग लें। अगर जानबूझकर अपमान करते हैं तो दंड के भागी बन सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 07 Sep 2023 01:45 PM (IST)
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Chanakya Niti: गलती से भी इन 5 महिलाओं का न करें अपमान, वरना देखते ही देखते हो जाएंगे कंगाल

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य मौर्य काल के समकालीन थे। उन्हें राजनीति शास्त्र में महारत हासिल थी। अपनी नीतियों के लिए आचार्य चाणक्य दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उनके सहयोग से चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। आचार्य चाणक्य ने कई प्रमुख रचनाएं की हैं। इनमें चाणक्य की नीतियां सबसे प्रसिद्ध हैं। इस शास्त्र में चाणक्य ने सभी विषयों पर अपने विचार प्रकट किए हैं। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के चौथे अध्याय में 5 महिलाओं की सेवा और सम्मान करने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि इन 5 महिलाओं की सेवा करने से व्यक्ति अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

राजा की धर्मपत्नी

आचार्य चाणक्य की मानें तो राजा की पत्नी मां समान होती हैं। इनकी हमेशा सेवा करनी चाहिए। इससे आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। भूलकर भी राजा की धर्मपत्नी का अपमान नहीं करना चाहिए। अगर गलती से भी अपमान हो जाए, तो तुरंत माफी मांग लें। अगर जानबूझकर अपमान करते हैं, तो दंड के भागी बन सकते हैं। इसके लिए आपको सजा भी मिल सकती है।

गुरु की पत्नी

गुरु बिना ज्ञान नहीं होता है। गुरु के बिना एक व्यक्ति काली स्याही समान है। इस बारे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि गुरु की पत्नी भी मां तुल्य हैं। गुरु मां की सेवा से व्यक्ति को जीवन में मन मुताबिक सफलता मिलती है। अतः गुरु मां की सेवा करनी चाहिए। भूलकर भी गुरु मां का अपमान न करें।

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मित्र की पत्नी

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मित्र के साथ हमेशा विश्वासी बनकर रहना चाहिए। वहीं, मित्र की पत्नी को भी मां का दर्जा दिया गया है। अतः मित्र की पत्नी के साथ शिष्टाचार स्नेह रखना चाहिए। उनकी सेवा कर कृपा के भागी बनना चाहिए। अगर भूलकर भी मित्र की पत्नी का दिल दुखाते हैं, तो इसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ सकता है।

पत्नी की माता

आचार्य चाणक्य का कहना है कि पत्नी की माता यानी सास भी मां समान होती हैं। उनका अपमान भूलकर भी न करें। कहते हैं कि अगर आपके वचन या व्यवहार से पत्नी की सास का दिल दुखता है, तो आप पाप के भागी बन सकते हैं। इससे आपके जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। अतः पत्नी की माता की भी सेवा करें।

मां

आचार्य चाणक्य माता-पिता को ईश्वर का रूप मानते हैं। उनका कहना है कि मां में भगवान के गुण होते हैं। निस्वार्थ भाव से मां अपने बच्चे का पालन-पोषण करती हैं। उसे काबिल बनाती हैं। अतः मां के उपकार को कभी नजरअंदाज न करें। कहते हैं कि जो व्यक्ति मां की सेवा करता है, उसे पृथ्वी लोक पर ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। अतः गलती से भी मां का अपमान न करें।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।