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Guru ki Mahadasha: गुरु की महादशा में निर्धन भी बन जाता है धनवान, नीच गुरु को ऐसे करें मजबूत

वर्तमान समय में देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि में विराजमान हैं। इस राशि में देवगुरु बृहस्पति 14 मई 2025 तक रहेंगे। इसके पश्चात वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को जीवन पर्यंत तक धन की कमी नहीं होती है। वहीं नीच गुरु के चलते जातक को जीवन में धन संकट से गुजरना पड़ता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 16 May 2024 04:02 PM (IST)
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Guru ki Mahadasha: गुरु की महादशा में निर्धन भी बन जाता है धनवान, नीच गुरु को ऐसे करें मजबूत
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru ki Mahadasha: ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को धन का कारक बताया गया है। देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। वहीं, कर्क राशि में गुरु उच्च के होते हैं। अतः कर्क राशि के जातकों को हमेशा शुभ फल देते हैं। वर्तमान समय में देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि में विराजमान हैं। इस राशि में देवगुरु बृहस्पति 14 मई, 2025 तक रहेंगे। इसके पश्चात, वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को जीवन पर्यंत तक धन की कमी नहीं होती है। वहीं, नीच गुरु के चलते जातक को जीवन में धन संकट से गुजरना पड़ता है। जबकि, गुरु की महादशा में बृहस्पति देव की कृपा व्यक्ति पर पड़ती है। उनकी कृपा से रंक भी राजा बन जाता है। आइए, गुरु की महादशा, फल और उपाय जानते हैं-

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गुरु की महादशा

ज्योतिषियों की मानें तो गुरु की महादशा 16 वर्ष तक रहती है। इस दौरान सबसे पहले गुरु की अंतर्दशा चलती है। वहीं, गुरु की अंतर्दशा में गुरु की ही प्रत्यंतर दशा चलती है। गुरु की अंतर्दशा दो साल एक महीने की रहती है। इसके बाद क्रमशः शनि, बुध, केतु, शुक्र, सूर्य, चंद्र, मंगल और राहु की अंतर्दशा चलती है। जिन जातकों की कुंडली में गुरु मजबूत होता है। उन्हें अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा में भी शुभ फल प्राप्त होता है।

उपाय

  • ज्योतिष कुंडली में गुरु मजबूत करने हेतु गुरुवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। इस व्रत को शुक्ल पक्ष के किसी गुरुवार से शुरू कर सकते हैं। इस व्रत के पुण्य फल से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  • कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें। साथ ही स्नान-ध्यान के बाद चंदन का टीका ग्रीवा या माथे पर लगाएं।
  • देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए गुरुवार के दिन पीले रंग की चीजों का दान करें। आप चने की दाल, बेसन, पीले रंग के वस्त्र आदि चीजों का दान करें।
  • गुरुवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।