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Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ अमावस्या पर करें ये आसान उपाय, पितृ दोष से मिलेगा छुटकारा

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व (Ashadha Amavasya Importance) है। इस दिन पूजा जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है। धार्मिक मत है कि अमावस्या तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में व्याप्त आर्थिक अस्थिरता से भी निजात मिलती है। इस दिन पितरों का भी तर्पण और पिंड़दान किया जाता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 02 Jul 2024 04:01 PM (IST)
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Ashadha Amavasya 2024: कब है आषाढ़ अमावस्या?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ashadha Amavasya 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 05 जुलाई को आषाढ़ अमावस्या है। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंड दान किया जाता है। साथ ही स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। गरुड़ पुराण में निहित है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और मंगल का आगमन होता है। इस दिन कालसर्प दोष और पितृ दोष का भी निवारण किया जाता है। अगर आप भी पितृ दोष से पीड़ित हैं, तो आषाढ़ अमावस्या पर ये उपाय जरूर करें। इन उपायों को करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।  

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पितृ दोष के उपाय

  • अगर आप पितृ दोष से निजात पाना चाहते हैं, तो आषाढ़ अमावस्या पर स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल या सामान्य जल में काले तिल मिलाकर पीपल के पेड़ में जल का अर्घ्य दें। शास्त्रों में निहित है कि पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का निवास होता है। पीपल पेड़ में देवी-देवताओं संग पितरों का भी वास होता है। इसके लिए पीपल पेड़ को जल का अर्घ्य देने से पितृ दोष दूर होता है।
  • अगर आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आषाढ़ अमावस्या पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करें। इसके बाद नदी या सरोवर में अंजलि यानी हथेली में काले तिल और गंगाजल लेकर तीन बार दक्षिण दिशा में मुखकर पितरों का तर्पण करें। गुरुड़ पुराण में निहित है कि तीन पीढ़ी के पतरों का तर्पण किया जाता है। इसके लिए तीन बार पितरों का जल का अर्घ्य दें। इस समय पितृ से सुख-समृद्धि की कामना करें। साथ ही जीवन में आने वाली बलाओं से रक्षा करने की याचना करें।
  • आषाढ़ अमावस्या पर स्नान-ध्यान के बाद पितरों का जल का अर्घ्य दें। इस समय पितृ चालीसा, कवच और स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद पशु-पक्षी को भोजन दें।
  • सनातन धर्म में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इसके लिए आषाढ़ अमावस्या पर पूजा-पाठ, जप-तप करने के बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करें। इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। आप चावल, नमक, गेंहू, दूध, दही, काले तिल,वस्त्र आदि चीजों का दान करें ।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।