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Shani ki Mahadasha: शनि की महादशा के दौरान करें ये अचूक उपाय, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

ज्योतिषियों की मानें तो शनि की महादशा के दौरान अच्छे कर्म करने वाले जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं धर्म विरुद्ध कार्य करने वाले जातकों को जीवन में आर्थिक विषमता से गुजरना पड़ता है। साथ ही जीवन में नाना प्रकार की परेशानियां आती हैं। कई जातकों को पूर्व जन्मों में किए गए बुरे कर्मों का फल शनि की महादशा के दौरान भोगना पड़ता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 13 May 2024 12:47 PM (IST)
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Shani ki Mahadasha: शनि की महादशा के दौरान करें ये अचूक उपाय, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani ki Mahadasha: शनिदेव न्याय के देवता हैं। व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वाले को शुभ फल देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले लोगों को दंड देते हैं। सनातन शास्त्रों में शनिदेव को मोक्ष प्रदाता भी कहा गया है। इसके चलते कुंभ और मकर राशि के जातक कभी-कभार भक्ति में अधिक लीन हो जाते हैं। अतः शनिदेव की विशेष कृपा कुंभ और मकर राशि के जातकों पर पड़ती है। ज्योतिषियों की मानें तो शनि की महादशा के दौरान अच्छे कर्म करने वाले जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं, धर्म विरुद्ध कार्य करने वाले जातकों को जीवन में आर्थिक विषमता से गुजरना पड़ता है। साथ ही जीवन में नाना प्रकार की परेशानियां आती हैं। कई जातकों को पूर्व जन्मों में किए गए बुरे कर्मों का फल शनि की महादशा के दौरान भोगना पड़ता है। अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनि की महादशा में ये उपाय जरूर करें।

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शनि की महादशा

ज्योतिषियों की मानें तो शनि की महादशा तकरीबन 19 साल तक रहती है। इस दौरान सभी शुभ और अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा चलती है। साथ ही प्रत्यंतर दशा भी चलती है। हालांकि, गुरु की अंतर्दशा में शनिदेव की कृपा जातक पर पड़ती है। शनिदेव की कृपा से जातक को जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल होता है। इस समय तक जातक को इंतजार करना पड़ता है। अतः शनि की महादशा में विषम परिस्थिति पैदा होने पर भगवान शिव और कृष्ण जी की पूजा करें। साथ ही शनिदेव की भक्ति करें।

उपाय

  • शनि की महादशा के दौरान धार्मिक कार्य करें। अधर्म पर बिल्कुल न चलें और न ही किसी का दिल दुखाएं। वृद्ध लोगों की सहायता करें। माता-पिता की सेवा और सम्मान करें।
  • शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में अकाल पड़ने के समय राजा दशरथ ने शनिदेव की पूजा-भक्ति की थी। इस समय उन्होंने स्तोत्र पाठ कर शनिदेव को प्रसन्न किया था। अतः रोजाना पूजा के समय दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
  • शनिदेव की कृपा पाने के लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। आप सामान्य जल में काले तिल और बेलपत्र मिलाकर भी अभिषेक कर सकते हैं। इस समय महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
  • भगवान शिव के शरणागत रहने से कुंडली में सभी ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो जाती है। अतः रोजाना पूजा के समय शिव पंचाक्षरी मंत्र का जप करें। साथ ही शिव चालीसा का पाठ करें।
  • शनि की महादशा में रोजाना शनिदेव की पूजा करें। इसके लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद पीपल के वृक्ष में जल का अर्घ्य दें। इस समय पीपल वृक्ष की परिक्रमा करें। साथ ही शनि मंत्र का जप करें। न्याय के देवता शनिदेव की कृपा पाने हेतु शनिवार के दिन काले तिल, चमड़े के चप्पल-जूते, छाते आदि चीजों का दान करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।