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Tirupati Balaji Temple: क्या सच में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को आता है पसीना? रोचक है इसके पीछे का रहस्य

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी ख्याती दूर-दूर तक है। इन्हीं रहस्यमयी मंदिरों में से एक दक्षिण भारत का तिरुपति बालाजी मंदिर है जो आंध्र प्रदेश केचित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है। यह धाम भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों की समस्याओं का अंत होता है। इसके साथ ही सभी मुश्किलों का अंत होता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 25 Jul 2024 04:32 PM (IST)
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Tirupati Balaji Temple: भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को आता है पसीना -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत में ऐसे कई चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनकी चर्चा चारों तरफ होती है। इन्हीं धाम में से एक दक्षिण भारत में स्थित भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर भी है। ऐसा कहा जाता है कि इस पवित्र धाम में भगवान तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji Temple Secrets) साक्षात विराजमान हैं, जिसकी झलक उनकी प्रतिमा में देखने को मिलती है। हालांकि इन हैरान करने वाले रहस्यों के बारे में आज तक किसी को पता नहीं चला है, तो आइए इस मंदिर से जुड़े कुछ दिलचस्प रहस्यमय तथ्यों को जानते हैं।

भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को आता है पसीना

तिरुपति बाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा बेहद खूबसूरत और अलग प्रतीत होती है। इस मूर्ति का निर्माण विशेष पत्थरों से हुआ है, जिसके चलते रोजाना अलग -अलग चीजों से अभिषेक होने के बावजूद यह प्रतिमा खराब नहीं होती है। हालांकि भक्त इसे ईश्वर की कृपा मानते हैं।

वहीं, यह प्रतिमा इतनी जीवंत है कि इसमें से पसीने की बूंदें भी निकलती है, जिस वजह से मंदिर का तापमान सदैव कम रखा जाता है, जबकि इसके पीछे के रहस्यों को जानने के लिए लाखों प्रयास किए गए हैं, लेकिन आजतक इस रहस्य की जानकारी किसी को नहीं हुई है।

बालाजी मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य और रहस्य

ऐसा माना जाता है कि भगवान बालाजी के बाल बिल्कुल असली हैं, क्योंकि उनके बाल सदैव दोषरहित रहते हैं। दरअसल, इस प्रतिमा के दिव्य बाल कभी उलझते नहीं है, वे सदैव मुलायम रहते हैं। इसके साथ ही भगवान बालाजी की मूर्ति के पीछे समुद्र की लहरों की आवाजें भी सुनी जा सकती हैं। इसके अलावा श्री वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दीया हमेशा जलता रहता है, जिसमें न तो कभी घी डाला जाता है और न ही तेल। यह दीपक कब जलाया गया और किसने जलाया? इसके बारे में कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है।

बस वहां के पुरोहितों और जानकारों का कहना है कि यह दीपक बहुत पहले से प्रज्वलित हैं और सदैव जलता रहेगा। वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि तिरूपति बालाजी मंदिर के गर्भगृह में उनकी मूर्ति के सामने रखे गए दीये कभी बुझते नहीं हैं।

मंदिर में होता है बालों का दान

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में भक्त अपनी इच्छाओं के पूरे होने से पहले या बाद में मंदिर में अपना सिर मुंडवाते हैं। या फिर अपने कुछ बाल अर्पित करते हैं। दरअसल, भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार, तिरुपति बाला मंदिर में आकर अपने बाल दान करते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इसले फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।