Swapna Shastra: क्या दोपहर में देखे गए सपने होते हैं सच, जानिए क्या कहता है स्वप्न शास्त्र
कई मान्यताओं के अनुसार यह माना गया है कि दोपहर में देखे गए सपने सच होते हैं। स्वप्न शास्त्र में माना गया है कि किसी भी सपने के सच होने की संभावना उसके समय पर निर्भर करती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस समय देखे गए सपनों (Swapna Shastra in Hindi) के सच होने की संभावना अधिक होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Auspicious signs in Dreams: स्वप्न शास्त्र में माना गया है कि व्यक्ति द्वारा देखा गया सपना उसके भविष्य के बारे में कुछ न कुछ संकेत दे सकता है। कहीं-न-कहीं सपने में घटने वाली घटनाओं का संबंध व्यक्ति के जीवन से भी होता है। कई बार हमारे द्वारा देखे गए सपने सच होने लगते हैं। स्वप्न शास्त्र हर सपने द्वारा मिलने वाले संकेत के बारे में तो बताता ही है, साथ ही यह भी बताता है कि किस समय देखे गए सपने सच हो सकते हैं।
क्या कहता है स्वप्न शास्त्र
स्वप्न शास्त्र में माना गया है कि समय के आधार पर यह तय किया जा सकता है कि सपना सच होगा या नहीं। कई बार जो सपने दिखाई देते हैं, वह सच होते हैं। स्वप्न शास्त्र की मानें, तो रात में 10 बजे से 12 के बीच देखे गए सपने का कोई फल नहीं होता है।क्योंकि वह आमतौर पर दिन में हुई घटनाओं पर आधारित होते हैं। वहीं कुछ सपने विचारों पर आधारित होते हैं। वहीं दोपहर में देखा गया सपना केवल विचारों और अचेतन मस्तिष्क की कल्पना पर आधारित होते हैं, इसलिए उनके सच होने की संभावना कम ही होती है।
सच होते हैं इस समय देखे गए सपने
स्वप्न शास्त्र में माना गया है कि जो सपने हम रात्रि में 12 बजे से सुबह 03 बजे के बीच में देखते हैं, उनके सच होने की संभावना अधिक होती है। माना गया है कि यह सपने 01 साल के भीतर सच हो सकते हैं।
ये है सबसे उत्तम समय
ब्रह्म मुहूर्त को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना गया है। ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 03 बजे से लेकर 05 बजे के बीच देखे गए सपनों के सच होने की संभावना सबसे अधिक होती है। स्वप्न शास्त्र में माना गया है कि ये सपने 01 से 6 महीने के बीच सच हो सकते हैं।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'