Move to Jagran APP

Lord Ram: इस वजह से दो पुत्रों की मां बनी थीं देवी सुमित्रा, जानें यह पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में भगवान राम की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उनके ऊपर किसी प्रकार का संकट नहीं आता है। आज हम प्रभु राम की मां सुमित्रा को दो पुत्र क्यों हुए थे? इसके बारे में जानेंगे जिसकी पूर्ण कथा यहां दी गई है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 10 Jun 2024 01:23 PM (IST)
Hero Image
Lord Ram: भगवान राम की माता सुमित्रा -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान राम की पूजा सनातन धर्म में बेहद शुभ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि राम दरबार की पूजा करने से जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है। इसके साथ ही प्रभु राम (Lord Ram) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, आज हम भगवान राम की माता सुमित्रा को दो पुत्र क्यों हुए थे, इसके बारे में जानेंगे? हालांकि इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ का जिक्र हम करेंगे।

माता सुमित्रा को क्यों हुए थे दो पुत्र?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयोध्या के चक्रवर्ती राजा दशरथ को संतान नहीं हो रही थी, जिसके चलते उन्होंने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। इसमें देवी-देवताओं सहित बड़े- बड़े ऋषि-मुनि शामिल हुए। यज्ञ की समाप्ति के बाद उन्होंने सभी पंडितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को आदरपूर्वक भोजन कराया और उन्हें सादर विदा किया।

यज्ञ का प्रसाद

इसके बाद राजा दशरथ ने यज्ञ के प्रसाद के रूप में बनी खीर को तीनों रानियों को खिलाया, जिसके परिणामस्वरूप वे गर्भवती हो गईं। सबसे पहले महारानी कौशल्या ने एक सुंदर नील वर्ण शिशु भगवान राम को जन्म दिया। फिर कैकेयी और सुमित्रा ने भी अपने-अपने पुत्रों को जन्म दिया। कैकेयी को एक और सुमित्रा के दो पुत्र हुए।

बता दें, सुमित्रा के दो पुत्रों को लेकर भी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक में कहा गया है कि महाराजा दशरथ ने यज्ञ समाप्त होने पर अग्नि के द्वारा चरु का आधा भाग माता कौशल्या को प्रदान किया और आधा कैकेयी जी को।

माता सुमित्रा को ऐसे मिला खीर का प्रसाद

इसके पश्चात दोनों रानियों ने उसे माता सुमित्रा को प्रदान किया। यही कारण है कि सुमित्रा जी ने दो पुत्रों को जन्म दिया था। इसके अलावा एक कथा में ऐसा भी कहा जाता है कि यज्ञ में अर्पित की गई खीर सबसे पहले देवी कौशल्या और कैकेयी जी को प्राप्त हुई। इसके बाद दोनों ने उसे माता सुमित्रा को दिया, जिस वजह से उन्हें 2 पुत्र प्राप्त हुए।

यह भी पढ़ें: Ganga Dussehra 2024: मां गंगा को बेहद प्रिय हैं ये भोग, चढ़ाने पर होगा सभी कष्टों का निवारण

अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।