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Dussehra 2023: जानें, क्यों विजयादशमी पर बांटी जाती है 'सोना पत्ती' और क्या है इसका धार्मिक महत्व

सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय से पहले भगवान शिव और शनि देव को प्रिय शमी के पेड़ की विधि विधान से पूजा की थी। इस समय उन्होंने शमी पेड़ से विजय श्री प्राप्त करने का भी वरदान मांगा था। धार्मिक मत है कि शमी के पेड़ की पूजा करने और शमी के पत्ते को स्पर्श करने से भगवान श्रीराम को विजय मिली थी।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 24 Oct 2023 07:34 AM (IST)
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Dussehra 2023: जानें, क्यों विजयादशमी पर बांटी जाती है 'सोना पत्ती' और क्या है इसका धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Dussehra 2023: हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इस प्रकार आज दशहरा है। इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में जब लंका नरेश रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था। उस समय भगवान श्रीराम ने वानर सेना की मदद से लंका पर चढ़ाई की थी। इस दौरान भगवान श्रीराम और लंका नरेश के मध्य युद्ध हुआ था। इस युद्ध में भगवान श्रीराम ने लंका नरेश रावण को परास्त कर लंका पर विजयश्री प्राप्त की थी। इस युद्ध में ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को रावण के पाश से मुक्त कराया था। अतः हर वर्ष आश्विन माह की दशमी तिथि पर दशहरा मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लोग एक दूसरे को सोना पत्ती देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दशहरा पर 'सोना पत्ती' क्यों बांटी जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

क्या है धार्मिक प्रसंग

सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय से पहले भगवान शिव और शनि देव को प्रिय शमी के पेड़ की विधि विधान से पूजा की थी। इस समय उन्होंने शमी पेड़ से विजय श्री प्राप्त करने का भी वरदान मांगा था। धार्मिक मत है कि शमी के पेड़ की पूजा करने और शमी के पत्ते को स्पर्श करने से भगवान श्रीराम को विजय मिली थी।

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धार्मिक महत्व

शास्त्रों में वर्णित है कि शमी के पेड़ में धन के देवता कुबेर देव वास करते हैं। अतः शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है। साथ ही आय, सुख और आयु में वृद्धि होती है। इसके लिए लोग हर शनिवार को शमी के पेड़ की पूजा करते हैं। दशहरा तिथि पर सोना पत्ती यानी शमी की पत्तियां बांटने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। इसके लिए लोग एक दूसरे को सोना पत्ती बांटते हैं। वर्तमान समय में शमी के पेड़ के पत्ते का अभाव है। आसान शब्दों में कहें तो उपलब्धता अधिक नहीं है। इसके लिए आजकल शमी की पत्तियों के बदले में अस्तरे की पत्तियां बांटी जाती है। इसे सोना समतुल्य माना जाता है।

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