Move to Jagran APP

Dussehra 2024: इस विधि से करें रामलला की पूजा, करें रामायण की इन 3 चौपाई का पाठ, पूर्ण होंगी सभी अधूरी इच्छाएं

दशहरा का दिन बेहद शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार किया था। इसी वजह से इस दिन को विजयदशमी (Vijayadashami 2024) के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्सव पाप पर धार्मिकता की विजय का प्रतिनिधित्व करता है। इस साल यह पर्व 12 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 12 Oct 2024 10:27 AM (IST)
Hero Image
Dussehra 2024: भगवान राम और रामदरबार की पूजा विधि।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दशहरा का पर्व अपने आप में बहुत अहम होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन रावण पर भगवान राम की जीत की याद में हर साल बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही इसी दिन माता दुर्गा ने भी राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस मौके पर प्रभु राम की पूजा (Dussehra 2024 Puja Vidh) विधि अनुसार करते हैं और धार्मिक कार्यों से जुड़े रहते हैं, उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियां आती हैं।

भगवान राम और रामदरबार की पूजा विधि (Dussehra Puja Vidhi)

इस शुभ अवसर (Vijayadashami 2024) पर स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान राम व राम दरबार की प्रतीमा स्थापित करें। घर के मंदिर को सजाने के बाद एक कलश स्थापित करें। सबसे पहले गणेश पूजन करें, फिर भगवान रामलला और रामदरबार की पूजा करें। दुग्धाभिषेक करें। अभिषेक के पश्चात उन्हें पीले और कमल के फूलों से सुसज्जित करें। पीले वस्त्र चढ़ाएं। गोपी चंदन से तिलक करें। भगवान राम के 108 नामों व रामायण की चौपाई का गायन करें।

पांच प्रकार के ऋतु फल व केसर की खीर का भोग लगाएं। फिर आरती से पूजा संपन्न करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे और जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं।

यह भी पढ़ें: Dussehra 2024 Rashifal: इन 3 राशियों की दशहरा पर बदलेगी किस्‍मत, बनेंगे बिगड़े काम! जानें अपना भाग्य

धन प्राप्ति के लिए

जिमि सरिता सागर मंहु जाही।

जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।

तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।

धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।

सुख प्राप्ति हेतु

सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई।

लहहि भगति गति संपति नई।।

जल्द विवाह के लिए

तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै।

मांडवी श्रुतिकीरित उरमिला कुंअरि लई हंकारि कै।।

सभी मनोरथ पूर्ति हेतु

भव भेषज रघुनाथ जसु,सुनहि जे नर अरू नारि।

तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसिरारि।।

यह भी पढ़ें: Dussehra 2024: राम भगवान की इस आरती के बिना अधूरी है दशहरा की पूजा, ऐसे करें पूर्ण

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।'