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Ekadashi in September 2024: सितंबर में कब -कब है एकादशी? नोट करें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

एकादशी व्रत को हिंदुओं में बेहद शुभ माना जाता है। इस उपवास को रखने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का पालन करने से सभी पाप धुल जाते हैं जो लोग जीवन की सभी मुश्किलों से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें एकादशी व्रत (Ekadashi Kab hai September 2024 Mei) का पालन जरूर करना चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 12 Sep 2024 09:11 AM (IST)
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Ekadashi in September 2024: एकादशी पूजा विधि।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन बेहद ही शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस पवित्र दिन पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और कठोर उपवास का पालन करते हैं। फिर द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करते हैं। एक माह में दो एकादशी मनाई जाती हैं। एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी आती हैं, जब सितंबर माह चल रहा है, तो चलिए इस माह में कब-कब एकादशी पड़ रही है? इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

परिवर्तनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat)

पंचांग के आधार पर भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 13 सितंबर, 2024 दिन शुक्रवार को रात 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 14 सितंबर, 2024 दिन शनिवार को रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 14 सितंबर को परिवर्तनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) का व्रत रखा जाएगा।

इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Ka Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शनिवार 27 सितंबर, 2024 को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन रविवार 28 सितंबर, 2024 को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi)का व्रत रखा जाएगा।

एकादशी पूजा विधि (Ekadashi 2024 Puja Vidhi)

  • पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • एक वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा और श्रीयंत्र के साथ देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।
  • मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और फूल-माला अर्पित करें।
  • गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
  • पांच मौसमी फल, सूखे मेवे, पंजीरी-पंचामृत और मिठाई का भोग लगाएं।
  • भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।
  • वैदिक मंत्रों का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • आरती से पूजा को पूर्ण करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।