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Ekadashi Shradh 2024: पितृ पक्ष का एकादशी श्राद्ध आज, जरूर जान लें विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है। साथ ही इसका समापन आश्विन माह की अमावस्या पर होता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर 2024 से हुई थी जिसका समापन 02 अक्टूबर को होने जा रहा है। पितृ पक्ष के एकादशी श्राद्ध को विशेष महत्व दिया जाता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 27 Sep 2024 11:07 AM (IST)
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Ekadashi Shradh 2024 पितृ पक्ष का एकादशी श्राद्ध की विधि।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष की 15 दिन की अवधि में अपने पूर्वजों को भोजन अर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि देने का विधान है। आज यानी 27 सितंबर को एकादशी श्राद्ध किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि एकादशी श्राद्ध (Ekadashi Shradh 2024 Puja Vidhi) पर किसका श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। साथ ही जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त और श्राद्ध की विधि।

इन लोगों का किया जाता है श्राद्ध

पितृ पक्ष की एकादशी तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी भी माह की एकादशी तिथि पर हुई हो। साथ ही इस दिन उन लोगों का भी श्राद्ध किया जा सकता है, जिन्होंने संन्यास धारण किया हो और इस दौरान उनकी मृत्यु हुई हो।

एकादशी श्राद्ध मुहूर्त (Ekadashi Shradh Shubh Muhurat)

एकादशी श्राद्ध के दिन मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

कुतुप मुहूर्त - दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक

रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक

अपराह्न काल - दोपहर 01 बजकर 24 से दोपहर 03 बजकर 48 मिनट तक

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श्राद्ध की विधि (Ekadashi Shradh Puja Vidhi)

एकादशी श्राद्ध के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद ब्राह्मणों को बुलाकर पितरों का तर्पण और पिंडदान करें।

अब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा दें। साथ ही पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए भी भोजन निकालें। पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए एकादशी श्राद्ध पर भोजन के साथ-साथ काले तिल, चावल और दूध आदि का दान करना चाहिए।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।