Sankashti Chaturthi 2024: एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की इस विधि से करें पूजा, घर खुद चलकर आएंगी मां लक्ष्मी
हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2024) का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन पूरी तरह से गणेश जी को अर्पित किया गया है। कोई भी शुभ कार्य पार्वती पुत्र की पूजा के बिना पूरा नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश अपने भक्तों की बात बहुत जल्द सुनते हैं जो लोग किसी वजह से परेशान हैं उन्हें विघ्नहर्ता की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: चतुर्थी तिथि का हिंदुओं के बीच बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर भक्त बप्पा की पूजा के साथ उनके लिए व्रत करते हैं और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। एक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं। शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि 26 मई, 2024 यानी आज मनाई जा रही है।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2024 का महत्व
हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन पूरी तरह से गणेश जी को अर्पित किया गया है। भगवान गणेश प्रथम पूज्य हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कोई भी शुभ कार्य पार्वती पुत्र की पूजा के बिना पूरा नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश अपने भक्तों की बात बहुत जल्द सुनते हैं।ऐसे में जो लोग किसी वजह से परेशान हैं, या फिर उनके कार्यों में कोई बाधा आ रही है, तो उन्हें विघ्नहर्ता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। उनकी पूजा से अच्छे स्वास्थ्य, धन, सौभाग्य, कल्याण, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2024 पूजा विधि
- पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें।
- मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें।
- एक वेदी लें और उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- प्रतिमा को गंगाजल से साफ करें।
- बप्पा को हल्दी व सिंदूर का तिलक लगाएं।
- फूलों की माला, दूर्वा घास भगवान गणेश को अर्पित करें।
- उन्हें लड्डू, फल, मोदक का भोग लगाएं।
- देसी घी का दीपक जलाएं।
- चतुर्थी कथा का पाठ करें।
- गणेश मंत्र का 108 बार जाप करें।
- गणेश आरती से पूजा का समापन करें।
- शाम के समय चंद्र देव को अर्घ्य दें।
- अपना व्रत भगवान गणेश के प्रसाद से खोलें।
- पारण में तामसिक खाने का प्रयोग न करें।
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