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Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: ज्येष्ठ माह में कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी? जानें पूजा का सही समय

हिंदू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती है। एक कृष्ण और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को है। इस दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इस तिथि पर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 18 May 2024 11:14 AM (IST)
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Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: ज्येष्ठ माह में कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी? जानें पूजा का सही समय

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती है। एक कृष्ण और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को है। इस दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इस तिथि पर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। साथ ही व्रत किया जाता है। मान्यता है कि प्रभु की पूजा करने से व्याप्त सभी दुख और संताप खत्म हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली एकदंत संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 Date and Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 26 मई को सुबह 06 बजकर 06 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 04 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का त्योहार 26 मई को मनाया जाएगा।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Ekdant Sankashti Chaturthi  Puja Vidhi)

एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठें और दिन की शुरुआत गणपति बप्पा के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। सूर्य देव को जल का अर्घ दें। चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा विराजमान करें। प्रभु को लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, पान, सुपारी आदि चीजें अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ करें। मोदक, फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। श्रद्धा अनुसार लोगों में वस्त्र, भोजन और धन का दान दें।

भगवान गणेश पूजन मंत्र

त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।