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Falgun Purnima 2024: पूर्णिमा के दिन ऐसे करें श्री हरि की पूजा, जीवन में होगा समृद्धि का आगमन

फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima 2024) का बेहद महत्व है। इस महीने पूर्णिमा 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक धन की कामना करते हैं तो उन्हें इस दिन का उपवास जरूर करना चाहिए। साथ ही विष्णु स्तुति और श्री नारायण स्तोत्र का पाठ भाव के साथ करना चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 18 Mar 2024 01:49 PM (IST)
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Falgun Purnima 2024: पूर्णिमा के दिन अवश्य करें श्री हरि के इस स्तोत्र का पाठ
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Falgun Purnima 2024: सनातन धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का दिन बहुत शुभ माना जाता है। यह दिन किसी भी प्रकार की धार्मिक विधियों के लिए फलदायी होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान सफल होते हैं। इस माह पूर्णिमा 25 मार्च, 2024 को पड़ रही है। ऐसे में जो साधक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो विधि अनुसार उनकी पूजा करें।

साथ ही विष्णु स्तुति और श्री नारायण स्तोत्र का पाठ भाव के साथ करें। ऐसा करने से जीवन में समृद्धि का आगमन होगा। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

भगवान विष्णु की पूजा विधि 

  • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
  • एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत से स्नान करवाएं।
  • गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
  • पीली मिठाई का भोग लगाएं।
  • पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  • विधिपूर्वक पूजा करें।
  • श्री हरि के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
  • अंत में आरती से अपनी पूजा को समाप्त करें।
  • शंखनाद पूजा के बाद अवश्य करें।
  • पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
  • अगले दिन व्रत का पारण प्रसाद से करें।
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॥ विष्णु स्तुति॥

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

॥श्री नारायण स्तोत्र॥

नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥

घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥

पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥

मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥

राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥

बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥

जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥

अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥

दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥

शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥

ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥

दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥

वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥

जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥

गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥

अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥

भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

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