Folk Songs Of Lohri 2023: 'सुंदर मुंदरिये हो' इस लोकगीत के बिना अधूरा है लोहड़ी का त्योहार, पढ़ें-अन्य गीत
लोहड़ी का पर्व पंजाब हरियाणा और दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नवीन अन्न के तैयार होने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस दौरान आग का अलाव लगाया जाता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 14 Jan 2023 12:26 PM (IST)
नई दिल्ली, Folk Songs Of Lohri 2023: हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है। इस साल 14 जनवरी को लोहड़ी है। वहीं, 15 जनवरी को मकर संक्रांति है। लोहड़ी का पर्व पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नवीन अन्न के तैयार होने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस दौरान आग का अलाव लगाया जाता है। इस अलाव में गेंहूं की बालियों को अर्पित किया जाता है। इस मौके पर पंजाबी समुदाय के लोग भांगड़ा और गिद्दा नृत्य कर उत्स्व मनाते हैं। वहीं, महिलाएं अलाव के सामने लोक गीत गाती हैं। इन लोक गीतों के बिना लोहड़ी अधूरी है। आइए, लोहड़ी के प्रमुख लोक गीत के बारे में जानते हैं-
लोहड़ी का लोक गीतसुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो,
दुल्ला भट्ठी वाला हो, दुल्ले दी धी व्याही हो,सेर शक्कर पाई हो, कुड़ी दे जेबे पाई हो,
कुड़ी दा लाल पटाका हो, कुड़ी दा सालू पाटा हो,सालू कौन समेटे हो, चाचे चूरी कुट्टी हो,जमीदारां लुट्टी हो, जमीदारां सदाए हो,गिन-गिन पोले लाए हो, इक पोला घट गया,ज़मींदार वोहटी ले के नस गया, इक पोला होर आया,
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया,सिपाही फेर के लै गया, सिपाही नूं मारी इट्ट, भावें रो ते भावें पिट्ट,साहनूं दे लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ीसाडे पैरां हेठ रोड़ सानूं छेती छेती तोरसाडे पैरां हेठ दही, असीं मिलना वी नईसाडे पैरां हेठ परात सानूं उत्तों पै गई रातदे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी।।बधाई गीत -'कंडा कंडा नी लकडियो
कंडा सीइस कंडे दे नाल कलीरा सीजुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा नी,पा माई पा,काले कुत्ते नू वी पाकाला कुत्ता दवे वदाइयाँ,तेरियां जीवन मझियाँ गाईयाँ,मझियाँ गाईयाँ दित्ता दुध,तेरे जीवन सके पुत्त,सक्के पुत्तां दी वदाई,वोटी छम छम करदी आई।'लोहड़ी मांगने का गीत -'पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढेगा हाथी हाथी
उत्ते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ!नौंवां नौं वां दी कमाई तेरी झोली विच पाईटेर नी माँ टेर नीलाल चरखा फेर नी!बुड्ढी साँस लैंदी हैउत्तों रात पैंदी हैअन्दर बट्टे ना खड्काओसान्नू दूरों ना डराओ!चारक दाने खिल्लां देपाथी लैके हिल्लांगेकोठे उत्ते मोर सान्नूपाथी देके तोर!डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'