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Friday Laxmi Pujan: कर्ज से मिलेगी मुक्ति, बढ़ेगी धन-संपत्ति, शुक्रवार को करें यह एक काम

सनातन धर्म में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा बेहद शुभ मानी गई है। वह स्वभाव से अति चंचल हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग प्रत्येक शुक्रवार को भक्तिपूर्वक मां की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा के समय ऋण मोचन स्तोत्र (Rin Mochan Stotra) का पाठ भी बहुत मंगलकारी माना गया है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 25 Oct 2024 06:30 AM (IST)
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Friday Laxmi Pujan: शुक्रवार को करें यह एक काम>
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Friday Laxmi Pujan: हिंदू धर्म में शुक्रवार के दिन का खास महत्व है। यह दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जो साधक इस दिन धन की देवी यानी माता लक्ष्मी की पूजा सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में सुख-शांति की कमी नहीं रहती है। इसलिए सुबह के समय पवित्र स्नान के बाद देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। उन्हें इत्र और गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। मखाने की खीर का भोग लगाएं। इसके पश्चात देवी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।

वहीं, इस दिन ऋण मोचन स्तोत्र (Rin Mochan Stotra) का पाठ करना भी बेहद लाभकारी माना गया है, तो आइए इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करते हैं, क्योंकि इसके प्रभाव से कर्ज से लेकर धन की सभी मुश्किलों का अंत होता है।

।।नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र।।

ॐ देवानां कार्यसिध्यर्थं सभास्तम्भसमुद्भवम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं भक्तानामभयप्रदम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

प्रह्लादवरदं श्रीशं दैतेश्वरविदारणम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

स्मरणात्सर्वपापघ्नं कद्रुजं विषनाशनम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

अन्त्रमालाधरं शङ्खचक्राब्जायुधधारिणम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

सिंहनादेन महता दिग्दन्तिभयदायकम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

कोटिसूर्यप्रतीकाशमभिचारिकनाशनम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

वेदान्तवेद्यं यज्ञेशं ब्रह्मरुद्रादिसंस्तुतम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॐ ॥

इदं यो पठते नित्यं ऋणमोचकसंज्ञकम् ।

अनृणीजायते सद्यो धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥

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।।ऋण मोचक मङ्गलस्तोत्रम्।।

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।