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Ganesh Chaturthi 2024: गणेश महोत्सव के दौरान इस सरल विधि से करें पूजा, जानें क्या है बप्पा का प्रिय भोग?

भगवान गणेश की पूजा का शास्त्रों में विशेष महत्व है। इस बार गणेश महोत्सव की शुरुआत 7 सितंबर 2024 यानी आज से हो रही है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान व्रत रखने से भगवान गणेश जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हैं। साथ ही उनका आशीर्वाद सदैव के लिए प्राप्त होता है तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ बातों को जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 07 Sep 2024 08:13 AM (IST)
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Ganesh Chaturthi 2024: भगवान गणेश की पूजा विधि।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी का पर्व बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूरे भारत में अत्यधिक भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है, जो बुद्धि के स्वामी भगवान गणेश के जन्मदिन का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के चौथे दिन (Ganesh Chaturthi 2024 Date) 7 सितंबर, 2024 यानी आज से गणेश महोत्सव की शुरुआत हो रही है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान लोग अपने-अपने घरों में बप्पा की प्रतिमा की स्थापना करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं, जब इस पर्व को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, तो आइए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

भगवान गणेश के प्रिय भोग

भगवान गणेश को चावल व गेहूं के आटे से बने लड्डू और मोदक, गुड़ और नारियल से भरे मीठे पकौड़े अति प्रिय हैं। इस दौरान बप्पा को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के मोदक और लड्डू बनाए जाते हैं और उन्हें प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा उन्हें 21 विभिन्न मिठाइयों को प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है।

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भोग लगाते समय करें इस मंत्र का जाप

  • ।।इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि।।

गणेश महोत्सव पूजा समय

7 सिंतबर को गणेश चतुर्थी की पूजा (Ganesh Puja Muhurat 2024) सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 34 मिनट के बीच होगी।

भगवान गणेश की पूजा विधि

साधक सुबह उठकर स्नान करें। स्थापना समय के अनुसार, बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पूजा की शुरुआत करें। भगवान गणेश का अभिषेक करें। उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। सिंदूर और चंदन का तिलक लगाएं। उनके चरणों में पांच प्रकार के फूलों को अर्पित करें। फिर बप्पा को दूर्वा और उससे बनी माला चढ़ाएं। मोदक का भोग लगाएं। गणेश चालीसा और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा का समापन करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें। पूजा में तामसिक चीजों से परहेज करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।