Ganesh Ji Pauranik Kathayen: जानें मूषक कैसे बना गणपति बप्पा का वाहन, पढ़ें ये 2 पौराणिक कथाएं
Ganesh Ji Pauranik Kathayen हम सभी जानते हैं कि गणेश जी का वाहन मूषक है। लेकिन गणेश जी का वाहन मूषक कैसे बना यह शायद ही सभी को पता हो। एक कथा के अनुसार गजमुखासुर नामक एक असुर से गणपति बप्पा यानी गजानन का युद्ध हुआ।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 07 Oct 2020 09:00 AM (IST)
Ganesh Ji Pauranik Kathayen: हम सभी जानते हैं कि गणेश जी का वाहन मूषक है। लेकिन गणेश जी का वाहन मूषक कैसे बना यह शायद ही सभी को पता हो। एक कथा के अनुसार, गजमुखासुर नामक एक असुर से गणपति बप्पा यानी गजानन का युद्ध हुआ। गजमुखासुर को यह वरदान मिला था कि उसे किसी भी अस्त्रसे मारा नहीं जा सकता है। ऐस में गजमुखासुर का वध करने के लिए गणेश जी ने अपना एक दांत तोड़ दिया और इसी से असुर पर वार किया। इससे गजमुखासुर घबरा गया और मूषक बनकर वहां से भागने लगा। इसे गणेश जी ने अपने पाश में बांध लिया। वह बप्पा से क्षमा मांगने लगा। अत: गणेश जी ने उसे अपना वाहन बना लिया और इसे जीवनदान दे दिया।
गणेश पुराण में मौजूद एक अन्य कथा के अनुसार, द्वापर युग में एक बहुत ही बलवान मूषक था जो महर्षि पराशर के आश्रम में आकर उन्हें परेशान करने लगा था। उस मूषक ने उस आश्रम के बर्तन तोड़ दिए जो मिट्टी से बने हुए थे। यही नहीं, ऋषियों के वस्त्र और ग्रंथों को कुतर डाला। महर्षि पराशर इस मूषक से बेहद परेशान हो गए थे। ऐसे में वो गणेश जी की सहायता में गए। गणेश जी ने महर्षि की भक्ति से प्रसन्न होकर मूषक को पकड़ने की कोशिश की और उसपर अपना पाश फेंका। पाश का पीछा करते हुए मूषक पाताल लोक पहुंच गया। वहां से पाश उसे बांधकर गणेश जी के सामने ले गया।
जैसे ही मूषक ने गणेश जी को उनके सामने देखा वो उनकी आराधना करने लगा। गणेश जी ने मूषक से कहा कि उसने महर्षि पराशर को बेहद परेशान किया है। लेकिन अब तुम मेरी शरण में आ गए हो वो जो चाहे वो मांग सकता है। जैसे ही गणेश जी ने मूषक को वरदान देने को कहा तो उसने अभिमान जाग उठा। उसने कहा कि मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए। लेकिन अगर आप मुझसे कुछ मांगना चाहें तो जरूर मांग सकते हैं। इस पर गणेश जी मुस्कुरा दिए। उन्होंने मूषक से कहा कि वो उनका वाहन बन जाए। इसके बाद मूषक गणेश जी का वाहन बन गया है। लेकिन जैसे ही गणेश जी मूषक पर चढ़ें वो उनके भार से दबने लगा।
मूषक ने भगवान से कहा कि वो उनके भार से दबा जा रहा है। मूषक ने गणेश जी से प्रार्थना कि कि वो अपना भार थोड़ा कम कर लें। उसकी विनती सुनकर गणेश जी ने अपना भार कम कर लिया और उसके बाद से ही गणेश जी का वाहन मूषक बन गया।