Ganesh Mahotsav 2024: चार भुजाएं हों या फिर लंबी सूड़, भगवान गणेश का हर अंग है ज्ञान की पाठशाला
भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। गणेश महोत्सव की शुरुआत बीते दिन से हो चुकी है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान (Ganesh Mahotsav 2024) उपवास रखने से गौरी पुत्र गणेश जीवन की सभी मुश्किलों को दूर करते हैं। साथ ही उनकी कृपा प्राप्त होती है तो चलिए बप्पा से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणेश महोत्सव सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है, जिसकी शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है। आज इस महापर्व का दूसरा दिन है। यह त्योहार, जिसे विनायक चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह पर्व ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता बप्पा के जन्म का प्रतीक है। बता दें, यह उत्सव दस दिनों तक चलता है, तो चलिए इस शुभ अवसर पर बप्पा के प्रत्येक अंग का धार्मिक महत्व जानते हैं।
बप्पा का प्रत्येक अंग देता है एक खास सीख
- सिर - बप्पा का सिर ज्ञान, समझ और विवेकशील बुद्धि का प्रतीक है, जो व्यक्ति को जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिए बेहद जरूरी है।
- बप्पा का मुख - दुनिया में जीवन का आनंद लेने की प्राकृतिक मानवीय इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है।
- बड़े कान - यह ये दर्शाते हैं कि एक आदर्श व्यक्ति वह है, जिसके पास दूसरों को सुनने और विचारों को आत्मसात करने की क्षमता होती है।
- टूटा हुआ दांत - अपूर्णता को भी स्वीकार करना और पूर्णता प्राप्त करने के लिए ज्ञान के साथ भावनाओं पर विजय प्राप्त करना।
- छोटी आंखें - उनकी आंखों में वस्तुओं को उनकी वास्तविकता से समझने की शक्ति है, जो भक्तों की छोटी-छोटी समस्याओं को भी आसानी से देख लेती हैं।
- सूंड - आसपास की सभी चीजों को महसूस करना है।
- फरसा - यह शिव जी के त्रिशूल के समान अतीत, वर्तमान और भविष्य का प्रतीक है।
- चार भुजाएं - भगवान गणेश की ये चार भुजाएं आंतरिक गुणों मन, बुद्धि, अहंकार और विवेक का प्रतिनिधित्व करती हैं।
गणेश जी के इस मंत्र से जानें उनके हर अंग का महत्व
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
मंत्र का अर्थ
- वक्रतुण्ड - घुमावदार सूंड
- महाकाय - विशाल शरीर
- सूर्यकोटि - सूर्य के समान
- समप्रभ - महान प्रतिभाशाली
- निर्विघ्नं - बिना विघ्न
- कुरु - पूरे करें
- मे - मेरे
- देव - प्रभु
- सर्वकार्येषु - सभी कार्य
- सर्वदा - सदैव
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