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Ganesh Mahotsav 2024: चतुर्थी का चंद्र देखने से श्रीकृष्ण पर लगा झूठा आरोप, जामवंत से करना पड़ा युद्ध

07 सितंबर से गणेश महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखना शुभ नहीं होता। ऐसा करने से व्यक्ति पर कोई झूठा आरोप लग सकता है। इसी से जुड़ी एक कथा भी मिलती है जिसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने एक बार गलती से गणेश चौथ का चांद देख लिया था जिस कारण उन पर स्यमंतक मणि चुराने का आरोप लगा था।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 11 Sep 2024 01:30 PM (IST)
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Ganesh Mahotsav 2024: चतुर्थी का चंद्र देखने से श्रीकृष्ण पर लगा झूठा आरोप।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश रात के समय मूषक पर सवार होकर घूमने के लिए निकले। इस दौरान मूषकराज किसी चीज से टकरा गए, जिस कारण गणेश जी गिर गए। इस घटना को देखकर चंद्रमा गणेश जी पर हंसने लगा। तब श्रीगणेश क्रोधित हो गए और चंद्रमा को यह श्राप दिया कि, जो भी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर तुम्हें देखेगा, उस पर कोई झूठा आरोप या कोई कलंक लगेगा। इसी श्राप के चलते श्रीकृष्ण को भी झूठे आरोप का सामन करना पड़ा था। चलिए जानते हैं इससे जुड़ी कथा।

सूर्य देव ने दी थी मणि

भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारका में सत्राजित यादव नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसने सूर्य नारायण की आराधना की, जिससे सूर्य देव ने प्रसन्न होकर उसे स्यमन्तक मणि प्रदान की, जो रोजाना आठ भार सोना देती थी। जब भगवान कृष्ण इसके विषय में पता चला तो उन्होंने  प्रसंगवश कहा कि यह मणि मुझे दे दो। लेकिन सत्राजित ने वह मणि भगवान कृष्ण को न देकर अपने भाई को दे दी। एक उसका भाई शिकार करने गया, जहां उसे एक शेर ने मारकर उससे मणि ले ली।

नगरी में फैली झूठी अपवाह

वहीं रीछों के राजा जामवंत जी ने उस शेर को मारकर उससे मणि हासिल कर ली। जब कई दिनों तक सत्राजित का भाई शिकार से नहीं लौटा तो, वह सोचने लगा कि भगवान कृष्ण ने मणि प्राप्त करने के लिए उसके भाई का वध कर दिया है। धीरे-धीरे यह अपवाह पूरी नगरी में फैल गई। तब भगवान श्रीकृष्ण उसके भाई को ढूंढने के लिए वन में गए, जहां उन्हें पता चला कि मणि जामवंत जी के पास है। जब भगवान कृष्ण जामवंत की गुफा में पहुंचे, तो देखा कि उनकी पुत्री मणि से खेल रही है।

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श्रीकृष्ण और जामवंत के बीच हुआ युद्ध

मणि को प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण और जामवंत जी के बीच युद्ध हुआ जो लगभग 21 दिनों तक चलता रहा। जब जामवंत, भगवान श्रीकृष्ण को पराजित नहीं कर सके, तो उन्हें यह एहसास हुआ कि श्रीकृष्ण, विष्णु जी के अवतार हैं। तब जामवंत ने अपनी पुत्री का विवाह भगवान श्रीकृष्ण से कर दिया और उन्हें मणि लौटा दी। जब भगवान कृष्ण मणि लेकर दोबारा अपनी नगरी पहुचे, तो उनपर से चौरी का झूठा आरोप हट गया।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।