Ganesh Utsav 2023: गणेश जी की सूंड से लेकर उनके वाहन मूषक तक, एक खास संदेश देती हैं बप्पा से जुड़ी ये चीजें
Ganesh Utsav 2023 हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। माना गया है कि किसी भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करने से उस काम में किसी तरह की बाधा नहीं आती। गणेश जी की सूंड से लेकर उनके एक चूहे को वाहन बनाने तक के पीछे एक खास संदेश छुपा हुआ है।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 22 Sep 2023 03:41 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Lord Ganesh Puja: गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 19 सितंबर से गणेश चतुर्थी के साथ गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। यह उत्सव गणेश विसर्जन तक यानी 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान गणेश जी की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
क्या संदेश देती है गणेश जी की सूंड
गणेश जी का सिर एक हाथी का है, इसलिए उनकी एक सूंड भी है। जिसके कारण उन्हें व्रकतुंड भी कहा जाता है। भगवान गणेश की सूंड भी एक खास संदेश देती है। गणपति की सूंड हमेशा हिलती रहती है, जो इस बात की सीख देती है कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में क्रियाशील रहना चाहिए। ऐसा व्यक्ति ही शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है और किसी भी परिस्थिति का आसानी से सामना कर सकता है।
इसलिए चूहे को बनाया वाहन
क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान गणेश ने अपनी सवारी के रूप में इतने छोटे और दुर्बल जीव को ही क्यों चुना। इसके पीछे का कारण यह है कि गणेश कमजोर और दुर्बलों पर कृपा करते हैं। यही कारण है कि एक छोटे से चूहे पर कृपा करके उन्होंने इसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया। साथ ही अपने आशीर्वाद से उसे इतना प्रबल बनाया कि वह गणेश भगवान का वजन उठा सके। गणेश जी का चूहे को वाहन बनाना इस बात का संकेत है कि संसार में कोई भी तुच्छ नहीं है बल्कि हर किसी की अपनी एक उपयोगिता और क्षमता है। इसलिए हर व्यक्ति को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।यह भी पढ़ें - Ganesh Visarjan 2023: गणेश विसर्जन के दौरान इन नियमों का रखें ध्यान, मिलेगा सुख-समृ्द्धि का आशीर्वाद
काम के प्रति समर्पित हैं एकदंत
गणेशजी का एक दांत पूरा है और दूसरा टूटा हुआ है। इसलिए उन्हें एकदंत भी कहा जाता है। गणेश जी के टूटे हुए दांत के पीछे एक कथा मिलती है जिसके अनुसार, वेद व्यास जी की महाभारत को निर्विघ्न रूप से पूरा करने के लिए अपना एक दांत तोड़ दिया और उसकी कलम बना ली। इससे हमें सीख मिलती है कि हम जो भी काम कर रहे हैं उसे अपने पूरे समर्पण के साथ करना चाहिए तभी उस कार्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है। साथ ही गणेश जी का एक दांत यह भी संकेत देता है कि हमें हमारी अपूर्णता को भी स्वीकार करना चाहिए और उसके बिना भी प्रसन्न रहना चाहिए।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'