Ganesh Utsav 2023: आखिर भगवान गणेश को क्यों लगाना पड़ा हाथी का ही सिर, जानिए पौराणिक कथा
Ganesh Mythological Story भगवान गणेश हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं में एक विशेष स्थान रखते हैं। गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 19 सितंबर 2023 गणेश चतुर्थी के दिन से गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। यह उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं गणेश जी के गजमुख की पौराणिक कथा।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 26 Sep 2023 01:59 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ganesh Utsav 2023: हम सभी जानते हैं कि गणेश जी का मुख एक हाथी का है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि गणेश जी का केवल हाथी का मुख ही क्यों लगा। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा मिलती है। जिसके अनुसार भगवान शिव द्वारा एक असुर को दिए गए वरदान के फलस्वरूप गणेश जी एक हाथी का सिर लगाया गया। आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा।
गजासुर ने मांगा ये वरदान
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गजासुर नाम का राक्षस था, जिसका सिर हाथी का था। वह शिव जी का परम भक्त था और दिन रात शिव जी की आराधना में लीन रहता था। एक बार उसने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर शिव जी ने उसे एक वरदान मांगने को कहा। इस पर गजासुर शिव जी को ही मांग बैठा। उससे महादेव से वरदान मांगा कि आप कैलाश छोड़कर मेरे पेट में समा जाएं। भक्त की इच्छापूर्ति के लिए शिव जी उसके पेट में समा गए।
नंदी के नृत्य से प्रसन्न हुआ गजासुर
शिव जी के कैलाश न लौटने पर माता पार्वती चिंतित हो गई। इस पर उन्होंने भगवान विष्णु जी का स्मरण किया और उनसे शिव जी को ढूंढकर वापिस लाने की बात की। इस पर भगवान विष्णु ने अपनी लीला से सितारवादक का रूप धारण किया, वहीं, ब्रह्मा जी ने तबला वादक बन गए और नंदी को नाचने वाला बैल बनाया गया।ऐसा रूप धारण कर सभी गजासुर के दरबार में पहुचें। इसके बाद नंदी ने अपना अद्भुत नृत्य करके गजासुर को किया। इसपर गजासुर ने नंदी का कुछ वरदान मांगने को कहा इस पर सभी अपने रूप में वापस आ गए और नंदी ने शिव जी को वापस लिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए गजासुर को शिव जी को पेट से बाहर निकालना पड़ा।
भगवान शिव ने दिया ये वरदान
जब गजासुर को अपनी गलती का आभास हुआ तो उसने सभी से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। इसपर भगवान ने उन्हें क्षमा करते हुए ये आशीर्वाद दिया कि तुम हमेशा मुझे देख सकोगे। इस घटना के बाद जब भगवान शिव ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर काट दिया था, तब गजासुर को दिए गए वरदान को पूरा करने के लिए गजासुर का ही मुख गणेश जी को लगाया गया।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'