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Ganesh Visarjan 2024: नृत्य से लेकर तांडव मुद्रा तक, भगवान गणेश की हर प्रतिमा का है विशेष महत्व

सनातन धर्म में गणेश विसर्जन का अधिक महत्व है। पंचांग के अनुसार गणेश महोत्सव की शुरुआत 07 सितंबर से हुई है। वहीं इसका समापन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan 2024) के दिन यानी 17 सितंबर को होगा। इस उत्सव के दौरान देशभर में बेहद खास रौनक देखने को मिलती हैं। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे भगवान गणेश की विभिन्न मुद्राओं के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 15 Sep 2024 02:01 PM (IST)
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Lord Ganesh: भगवान गणेश की विभिन्न मुद्राएं

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल की चतुर्थी से गणेश महोत्सव का शुभारंभ होता है। वहीं, इसका समापन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर होता है। इस दिन अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। साथ ही गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan 2024) होता है। गणपति बप्पा की मूर्तियां ( Lord Ganesh Idol Poses Significance) कई मुद्राओं में देखने को मिलती हैं, जिनका सभी का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इन मुद्राओं के बारे में विस्तार से।  

भगवान गणेश की बैठने की मुद्रा

गणपति बप्पा की कमल मुद्रा का विशेष महत्व है। इसमें प्रभु हाथों को घुटनों पर रखे हुए और पैरों को मोड़े हुए होते हैं। इस मुद्रा को स्थिरता और आंतरिक शांति का प्रतीक माना जाता है। वहीं, ललितासन की मुद्रा में गणेश जी एक पैर को जमीन पर और एक पैर को मोडे हुए हैं। प्रभु की यह मुद्रा विश्राम और आराम को प्रदर्शित करती हैं।

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एक पैर वाली मुद्रा

इसके अलावा एक पैर वाली मुद्रा में भगवान गणेश की प्रतिमा देखने को मिलती हैं। इस मुद्रा में भगवान गणेश एक पैर को खुला छोड़कर बैठे हुए हैं और एक पैर मोड़े हुए बैठें हैं। प्रभु की इस मुद्रा की प्रतिमा को लाने से घर में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।  

नृत्य और तांडव मुद्रा

भगवान गणेश की प्रतिमा नृत्य और तांडव की मुद्रा में भी होती हैं। नृत्य मुंद्रा में गणपति एक पैर मोड़कर और दूसरे पैर को फैलाकर नृत्य करते हुए देखने को मिलते हैं। वहीं, हाथों में संगीत वाद्ययंत्र लिए हुए हैं। प्रभु की इस मुद्रा से ब्रह्मांड की सुरक्षा के संकेत प्राप्त होते हैं। यह मुद्रा साधक को मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करती हैं।

इस मुद्रा की प्रतिमा से सुख-शांति का होता है वास

इसके अलावा भगवान गणेश दूसरी मुद्रा में दोनों पैर मोड़कर बैठे हुए हैं। मान्यता है कि गणपति की इस मुद्रा की प्रतिमा को घर में लाने से सुख-शांति का वास होता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।