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Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर स्नान-दान करने से पापों का होता है नाश, जानें इसका धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर आकाश से मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2024) के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा के अवसर पर श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 08 Jun 2024 03:48 PM (IST)
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Ganga Dussehra 2024: गंगा दशहरा पर स्नान-दान करने से पापों का होता है नाश, जानें इसका धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganga Dussehra 2024 Date and Time: पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस वर्ष गंगा दशहरा का पर्व 16 जून को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्व पर गंगा स्नान कर कुछ विशेष चीजों का दान करने से जातक के पापों का नाश होता है और जीवन सुखमय होता है। ऐसे में आइए जानते हैं गंगा दशहरा पर स्नान और दान के धार्मिक महत्व के बारे में।

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गंगा दशहरा पर स्नान और दान धार्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार, गंगा दशहरा के अवसर पर श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा पर दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन के ग्रह दोष खत्म होते हैं। इस दिन अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं, गंगा स्नान करने से जातक के मन में मन में सकारात्मक विचार आते हैं और बुरे पापों से छुटकारा मिलता है।

गंगा दशहरा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 16 जून को देर रात 02 बजकर 32 मिनट पर होगी और वहीं, इसका समापन 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में गंगा दशहरा 16 जून को मनाया जाएगा।

पूजा के दौरान करें इन मंत्रो का जप

  • नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
  • ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
  • गंगागंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि। मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति।।
  • गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।।
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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।