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Ganga Dussehra 2024 Date: जून में कब है गंगा दशहरा, अभी नोट करें पूजा का सही समय

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा का पर्व अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर मां गंगा की विशेष उपासना की जाती है। मान्यता है कि गंगा दशहरा पर अन्न भोजन और जल समेत आदि चीजों का दान करने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 21 May 2024 05:04 PM (IST)
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Ganga Dussehra 2024 Date: जून में कब है गंगा दशहरा, अभी नोट करें पूजा का सही समय
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Hai Ganga Dussehra 2024: पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर मां गंगा की पूजा और पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है। मान्यता है कि गंगा दशहरा पर अन्न, भोजन और जल समेत आदि चीजों का दान करने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मां गंगा का अवतरण भूलोक पर हुआ था। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। चलिए जानते हैं गंगा दशहरा की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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गंगा दशहरा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 16 जून को देर रात 02 बजकर 32 मिनट पर होगी और वहीं, इसका समापन 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में गंगा दशहरा 16 जून को मनाया जाएगा।

गंगा दशहरा पूजा विधि (Ganga Dussehra Puja Vidhi)

  • गंगा दशहरा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें।
  • इसके बाद पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा नहीं कर सकते, तो घर में नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल का डालकर स्नान करें।
  • अब तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें गंगाजल, अक्षत और फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • साथ ही दीपदान करें।
  • इसके बाद गंगा आरती कर मंत्रों का जाप करें।
  • अपनी श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान करें।
मां गंगा मंत्र

  • गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।
  • गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
  • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।