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Ganga Saptami 2024: मां गंगा की पूजा के समय जरूर करें ये आरती, दूर होंगे सभी दुख और संताप

ज्योतिषियों की मानें तो गंगा सप्तमी तिथि पर सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। अतः आज ही वृषभ संक्रांति भी है। शास्त्रों में वर्णित है कि गंगा सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 14 May 2024 08:00 AM (IST)
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Ganga Saptami 2024: मां गंगा की पूजा के समय जरूर करें ये आरती
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganga Saptami 2024: देशभर में गंगा सप्तमी का त्योहार उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रातः काल से पवित्र गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही मां गंगा और सूर्य देव की पूजा कर रहे हैं। ज्योतिषियों की मानें तो गंगा सप्तमी तिथि पर सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। अतः आज ही वृषभ संक्रांति भी है। शास्त्रों में वर्णित है कि गंगा सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संताप से निजात पाना चाहते हैं, तो गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से मां गंगा की पूजा करें। इस समय गंगा चालीसा का पाठ और मंत्र जप करें। पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।

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मां गंगा आरती

हर हर गंगे, जय माँ गंगे,

हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥

चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता ।

शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ॥

ॐ जय गंगे माता…

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता ।

कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता॥

ॐ जय गंगे माता…

एक ही बार जो तेरी शारणागति आता ।

यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता॥

ॐ जय गंगे माता…

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता ।

दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता॥

ॐ जय गंगे माता…

ॐ जय गंगे माता श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता॥

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।

सूर्य आरती

जय जय जय रविदेव,जय जय जय रविदेव ।

रजनीपति मदहारी,शतलद जीवन दाता ॥

पटपद मन मदुकारी,हे दिनमण दाता ।

जग के हे रविदेव,जय जय जय स्वदेव ॥

नभ मंडल के वाणी,ज्योति प्रकाशक देवा ।

निजजन हित सुखराशी,तेरी हम सब सेवा ॥

करते हैं रविदेव,जय जय जय रविदेव ।

कनक बदन मन मोहित,रुचिर प्रभा प्यारी ॥

नित मंडल से मंडित,अजर अमर छविधारी ।

हे सुरवर रविदेव,जय जय जय रविदेव ॥

जय जय जय रविदेव,जय जय जय रविदेव ।

रजनीपति मदहारी,शतलद जीवन दाता ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।