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Gangaur Teej 2022: गणगौर तीज आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Gangaur Teej 2022 हिंदू धर्म में गणगौर पूजा का विशेष महत्व माना गया है। खासतौर पर यह पर्व मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल की तृतीया को गणगौर तीज पर ये व्रत रखा जाता है।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Mon, 04 Apr 2022 09:49 AM (IST)
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Gangaur Teej 2022: गणगौर तीज आज, जानिए पूजा विधि

नई दिल्ली, Gangaur Teej 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्योहार मनाया जाता है। इसे सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व राजस्थान और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मनाया जाता है जिसकी शुरुआत होली के दूसरे दिन से शुरू हो जाती है। इसके साथ ही यह पर्व पूरे सोलह दिनों तक मनाया जाता जो आज गणगौर तीज के साथ पूरा होगा। गणगौर तीज विवाहित स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। इतना ही नहीं कुंवारी कन्याएं मनभावन पति पाने के लिए भी इस व्रत को रखती है। जानिए गणगौर तीज का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

गणगौर तीज का शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि आरंभ- 3 अप्रैल 2022 दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से

तृतीया तिथि समाप्त- 4 अप्रैल 2022 दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक

गणगौर तीज की पूजा विधि

आज के दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। आज के दिन शुद्ध मिट्टी से शिव जी और माता पार्वती की खूबसूरत सी मूर्ति बनाई जाती है और उन्हें अच्छे से दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाकर विधिवत तरीके से पूजा की जाती है।

घर के किसी पवित्र कमरे में एक पवित्र स्थान पर चौबीस अंगुल चौड़ी और चौबीस अंगुल लंबी वर्गाकार वेदी बनाई जाती है। इसी के ऊपर माता पार्वती और शिवजी की मूर्ति स्थापित की जाती है। मूर्ति स्थापित करने से पहले इस वेदी को हल्दी, कपूर, केसर और चंदन लगा दें। इसके बाद मूर्ति रख दें। अब मां पार्वती की पूजा आरंभ करें। इसके लिए मां को फूल, सिंदूर, अक्षत के साथ सुहाग की चीजें जैसे कांच की चूड़ियां, महावर, सिंदूर, रोली, मेहंदी, बिंदी, बिछिया, काजल, कंघी, शीशा आदि अर्पित करें। इसके बाद भोग में मिठाई आदि लगा दें। इसके बाद भगवान शिव की विधिवत तरीके से पूजा करें और घी का दीपक, धूप आदि जला दें। फिर गणगौर तीज की कथा पढ़े और अंत में भूल चूक के लिए माफी मांगे और महिलाएं मां के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लेकर मांग भर लें। इसके बाद एक बार भी भोजन करें और प्रसाद बांट दें। इस बात का ध्यान रखें कि प्रसाद पुरुषों को न दें। इसके बाद विसर्जन करके व्रत का पारण करें।

Pic Credit- instagram/deepika_jewellers

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