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Garud Puran: किन माता-पिता को मिलता है बेटी पाने का सौभाग्य, जानिए क्या कहता है गरुड़ पुराण

सनातन धर्म के मुख्य 18 बड़े पुराणों में से गरुड़ पुराण को एक माना गया है। इस पुराण के मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति अपने जीवन के लिए स्वयं जिम्मेदार होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि ईश्वर द्वारा बेटियों के जन्म के लिए किस घर को चुना जाता है?

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 23 Oct 2024 04:15 PM (IST)
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Garud Puran: किस घर में जन्म लेती हैं बेटियां?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गरुड़ पुराण, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराणों में स्थान रखता है। इस ग्रंथ में अच्छे और बुरे कर्मों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण में जन्म-मरण, स्वर्ग और नर्क के अलावा भी काफी चीजों का वर्णन किया गया है। साथ ही गरुड़ पुराण में वर्णित कथा में यह भी वर्णन मिलता है कि किस व्यक्ति के किन कर्मों से उनके घर में बेटी का जन्म होता है।

अर्जुन-श्रीकृष्ण का संवाद

कथा के अनुसार, एक बार अर्जुन और श्रीकृष्ण आपस में संवाद कर रहे थे, तब अर्जुन के मन में एक सवाल आया और उन्होंने श्रीकृष्ण से कि माधव किन कर्मों से, किसी माता-पिता को कन्या रत्न की प्राप्ति होती है? तब श्रीकृष्ण इसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि अगर किसी के घर पुत्र का जन्म होता है तो वह उसका भाग्य है, लेकिन अगर किसी के घर पुत्री का जन्म होता है, तो वह उसके लिए सौभाग्य की बात है। श्री कृष्ण अर्जुन से आगे कहते हैं, कि जन्म देने की क्षमता केवल स्त्री में ही है। ऐसे में यदि इस सृष्टि में बेटियों न हों, तो मानव जाति का विकास असंभव है।

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ये बनते हैं बेटी के माता-पिता

कई बार लोग धन होते हुए भी बेटियों का पालन-पोषण भार ठीक से नहीं करते, जबकि वहीं कुछ लोग गरीब होते हुए भी बेटियों को बड़े ही लाड़-प्यार से पालते हैं। इसलिए ईश्वर द्वारा बेटियां सिर्फ उन्हें ही प्रदान की जाती हैं, जो माता-पिता बन सकें। ईश्वर उन्हें ही पुत्री धन देता है, जो अच्छे से इनका पालन-पोषण कर सकें। वहीं श्रीकृष्ण, अर्जुन से यह भी कहते हैं कि स्त्री-पुरुष के पूर्वजन्म में अच्छे कर्मों के द्वारा ही उन्हें पुत्री रत्न की प्राप्ति होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।