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श्मशान घाट में पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखा जाता, Garud Puran में बताया गया है कारण

हिन्दू धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं जिनमें से 16वां संस्कार अंतिम संस्कार होता है। हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं जिनमें से एक यह भी है कि अंतिम संस्कार के बाद शमशान घाट में पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। चलिए जानते हैं कि गरुड़ पुराण में इस विषय में क्या कहा गया है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 03 Jul 2024 04:43 PM (IST)
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Garud Puran श्मशान घाट में पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखा जाता।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जिस भी प्राणी ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी तय है। हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किया जाता है और इसके बाद मृतक की आत्मा की शांति के लिए 13 दिनों तक कई कर्मकांड किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद ही उसकी आत्मा को शांति मिलती है। इसका पूरा वर्णन गरुड़ पुराण में मिलता है।

इसलिए किया गया है मना

हिंदू धर्म में माना गया है कि दाह संस्कार के बाद शरीर के नष्ट हो जाने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व बना रहता है। ऐसी स्थिति में यह माना जाता है कि यदि श्मशान से जाते समय पीछे मुड़कर देखा, जाए तो इससे आत्मा को परलोक जाने में परेशानी होती है। जिसका कारण यह है कि आत्मा का परिवार के प्रति उसे दूसरे लोक में जाने से रोकता है। इसलिए यह कहा जाता है कि अंतिम संस्कार के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।

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ये भी हैं मान्यताएं

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कभी भी सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता। क्योंकि ऐसा करने पर आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि शव का अंतिम संस्कार हो जाने के बाद घर को धार्मिक रूप से पवित्र और शुद्ध किया जाना बहुत आवश्यक है। वहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार, श्मशान घाट में महिलाओं के जाने की भी मनाही होती है।

गरुण इसका कारण यह माना जाता है कि महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले स्वभाविक रूप से कमजोर होती हैं। ऐसे में यह माना जाता है कि अगर मृत शरीर को अग्निदाह देते हुए कोई रोता है, तो इससे व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।