Garud Puran: क्यों होती है अकाल मृत्यु, आत्मा की शांति के लिए गरुण पुराण में बताए गए हैं उपाय
भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने इस बात का जिक्र किया है कि इस पृथ्वी पर जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है उसकी मौत भी निश्चित है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की अकाल मृत्यु होती है उन्हें मोक्ष की प्राप्त नहीं होती।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sun, 11 Jun 2023 06:34 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Garud Puran: अकाल मृत्यु का अर्थ है अचानक या दुर्घटनावश व्यक्ति की मृत्यु हो जाना। अकाल मृत्यु एक ऐसी स्थिति है जब शरीर तो नष्ट हो जाता है लेकिन आत्मा इसी संसार में भटकती रहती है। आइए जानते हैं कि किन लोगों को अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
गरुण पुराण में क्या है अकाल मृत्यु का अर्थ
गरुण पुराण में अकाल मृत्यु के कई तरीके बताए गए हैं। जब कोई व्यक्ति भूख से तड़प कर मर जाता है, किसी हिंसक जानवर द्वारा उसकी हत्या कर दी जाती है। या फिर किसी किसी जहरीले पदार्थ के सेवन से व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, पानी में डूब कर उसकी मौत हो जाती है तो इसे अकाल मृत्यु कहा जाता है।
कब होती है अकाल मृत्यु
वेदों में मनुष्य की उम्र 100 साल निर्धारित की गई है। लेकिन जब कोई व्यक्ति जानबूझकर धर्म का त्याग कर देता है या उसके शरीर में इतनी ताकत नहीं रहती कि वह धर्म कार्य कर सके। तो व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाती है। वहीं गरुण पुराण में इस बात का भी वर्णन किया गया है कि व्यक्ति के पिछले जन्मों में कर्मों के कारण भी उसे अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है।अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?
अकाल मृत्यु हो जाने के कारण मनुष्य की कई इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं। जिन्हें वह अपनी। इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए आत्माएं अपने परिजनों को कष्ट पहुंचाती है। अकाल मृत्यु के बाद मनुष्य भूत पिशाच की योनि में कई वर्षों तक पृथ्वी लोक पर भटकता रहता है। वहीं दूसरी ओर गरुण पुराण के अनुसार प्राकृतिक मौत से मरने वाले लोग 13 या 45 दिन में दूसरा जन्म प्राप्त कर लेते हैं।
आत्मा की मुक्ति के उपाय
गरुड़ पुराण के अनुसार अकाल मृत्यु द्वारा मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को उसका तर्पण नदी या तालाब में करना चाहिए। साथ ही आत्मा की इच्छा पूर्ति के लिए पिंडदान और दान पुण्य जैसे सत्कर्म करने चाहिए। यह सत्कर्म कम-से-कम तीन से चार वर्षों तक करना चाहिए। तब कहीं जाकर आत्मा को मुक्ति मिल पाती है।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'