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Garuda Purana: गरुड़ पुराण की इन बातों को आज ही करें आत्मसात, सात पीढ़ियों का होगा कल्याण

गरुण पुराण इंसान की मृत्यु और इसके बाद की स्थिति के बारे में बताता है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि व्यक्ति के किन कर्मों पर उसे नरक की प्राप्ति होती है। गरुण पुराण प्रभु श्री हरि की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। श्री हरि ने गरुड़ पुराण में ऐसी बातों के वर्णन किया है जिनको जीवन में धारण करने से कभी मात नहीं खाएंगे।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 08 May 2024 12:56 PM (IST)
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Garuda Purana: गरुड़ पुराण की इन बातों को आज ही करें आत्मसात, सात पीढ़ियों का होगा कल्याण
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Garuda Purana: सनातन धर्म में गरुड़ पुराण का अधिक महत्व है। यह पुराण 18 महापुराणों में शामिल है। गरुड़ पुराण में इंसान की मृत्यु के बाद की यात्रा का उल्लेख किया गया है। साथ ही यह ग्रंथ जगत के पालनहार भगवान विष्णु की भक्ति पर आधारित है। ग्रंथ में 19 हजार श्लोक हैं, जिसके सात हजार श्लोक में इंसान के जीवन से संबंधित हैं। गरुड़ पुराण का पाठ घर में किसी की मृत्यु के बाद 13 दिनों तक किया जाता है। क्योंकि 13 दिनों त​क उस इंसान की आत्मा घर में वास करती है। इसलिए उसकी आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। श्री हरि ने गरुड़ पुराण में ऐसी बातों के वर्णन किया है, जिनको जीवन में धारण करने से कभी मात नहीं खाएंगे।

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  • अगर आप जीवन में धनवान बनना चाहते हैं, तो रोजाना साफ वस्त्र धारण करें। माना जाता है कि गंदे कपड़े पहनने से इंसान का सौभाग्य नष्ट होता है।
  • गरुड़ पुराण में तुलसी के महत्व के बारे में जिक्र किया गया है। मान्यता है कि घर में तुलसी के होने से और रोजाना इसकी पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है। साथ ही सभी तरह की बीमारियों से बचाव होता है।
  • रोजाना सुबह नहाने के बाद भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • गरुड़ पुराण के अनुसार, सुबह जल्दी उठने से इंसान की आयु लंबी होती है। देर तक सोने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है और धन की देवी मां लक्ष्मी नाराज होती हैं।
  • गरुड़ पुराण के इस श्लोक में कहा गया है कि इंसान की आय कम होने के बावजूद भी सोच विचार कर दान करने से दुखी रहता है। यही वजह है कि श्रद्धा अनुसार ही दान करना चाहिए।
दाता दरिद्रः कृपणोर्थयुक्तः पुत्रोविधेयः कुजनस्य सेवा।

परापकारेषु नरस्य मृत्युः प्रजायते दिश्चरितानि पञ्च।।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।