Gita Jayanti 2022: समाज पर श्रेष्ठ व्यक्ति का प्रभाव किस तरह पड़ता है, भगवत गीता से जानिए
Gita Jayanti 2022 भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्धभूमि में धनुर्धर अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। जिसमें उन्होंने कर्म धर्म मोक्ष इत्यादि के विषय में बताया। आज भी अधिकांश हिन्दू घरों में गीता का पाठ किया जाता है।
By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Tue, 29 Nov 2022 04:12 PM (IST)
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Gita Jayanti 2022, Bhagavad Gita: हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन गीता जयंती पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 03 दिसम्बर 2022, शनिवार (Gita Jayanti 2022 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान श्री कृष्ण के साथ श्रीमद्भागवत गीता की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवत गीता को जीवन का दर्पण माना जाता है। मान्यता है कि भगवत गीता का पाठन और श्रवण करने से व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही उनके जीवन में खुशियों की लहर दौड़ पड़ती है। गीता जयंती के इस सप्ताह में आज हम भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए एक अमूल्य ज्ञान के विषय में जानेंगे। जिसमें उन्होंने बताया है कि एक श्रेष्ठ व्यक्ति का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
भगवत गीता: अध्याय 3- श्लोक संख्या 21
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः । स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ।।
अर्थात- गीता के इस श्लोक में श्री कृष्ण अर्जुन को बता रहें हैं कि एक श्रेष्ठ व्यक्ति जैसा आचरण करता है, वैसा ही आचरण समाज के अन्य लोग भी अपनाते हैं। वह जो कुछ भी प्रमाण देता है, समस्त मनुष्य समुदाय उसके अनुसार कार्य करने लगता है।
इस श्लोक में बताया गया है कि एक श्रेष्ठ व्यक्ति अर्थात राजा, नायक या अध्यात्मिक गुरु जिस तरह के आचरण का पालन करता है, उसकी प्रजा भी उसी आचरण को अपने जीवन में अपना लेती है। यदि राजा निष्ठावान और सत्यप्रिय है तो राज्य में भो उसकी प्रजा भी वैसा ही आचरण अपनाएगी। लेकिन दुष्ट, क्रूर और अधर्मी शासक के शासन में प्रजा भी अपने राजा के समान ही दुर्व्यवहार करने लगती है और अधर्म बढ़ने लगता है। इसलिए मनुष्य को भी अपना आदर्श चुनने से पहले उनके विषय में जान लेना चाहिए। यही बुद्धिमानी का काम होता है। इसके साथ जीवन में गुरु का चयन भी सोच-समझकर करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जीवन में गलत व्यक्ति का सानिध्य और गलत व्यवहार केवल विनाश को जन्म देते हैं।
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।