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Gita Jayanti 2022: भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने दिया है जीवन में सफलता प्राप्त करने का मूल मंत्र

Gita Jayanti 2022 हिन्दू धर्म में भगवान श्री कृष्ण के उपदेश अर्थात श्रीमद्भागवत गीता को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने धनुर्धर अर्जुन को ज्ञान धर्म और जीवन के महत्वपूर्ण गुणों से अवगत कराया था। 3 दिसंबर के दिन गीता जयंती पर्व मनाया जाएगा।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sat, 03 Dec 2022 10:41 AM (IST)
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Gita Jayanti 2022: गीता जयंती पर जानिए भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया जीवन का मूल मंत्र।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Gita Jayanti 2022, Bhagavad Gita: आज देशभर में गीता जयंती पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों को पढ़ा जाता है और जीवन में उन्हें पालन करने का प्रण लिया जाता है। बता दें कि अधिकांश हिन्दू घरों में गीता का पाठन और श्रवन किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीमद्भगवत गीता को साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है और इनमें दिए गए ज्ञान से व्यक्ति अपने जीवन में अधर्म रूपी अंधकार को दूर कर सकता है। बता दें कि हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन गीता जयंती पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह विशेष पर्व आज यानि 03 दिसंबर 2022, शनिवार (Gita Jayanti 2022 Date) के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। गीता जयंती के दिन भगवत गीता के सन्दर्भ में कई कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं और भगवान श्री कृष्ण के उपदेश को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य विभिन्न धार्मिक संस्थानों द्वारा किया जाता है। 

गीता में श्री कृष्ण ने जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। उनहोंने न केवल गीता के माध्यम से धर्म के विषय में  बताया है बल्कि ज्ञान, बुद्धि, जीवन में सफलता इत्यादि के विषय में भी मनुष्य को अवगत कराया है। आइए हम भी गीता के उन मूल मंत्रों को जान लें, जिनसे सभी प्रकार के अधर्म दूर हो जाता है और जीवन में सदैव आनंद की अनुभूति होती है।

कर्म करें फल की चिंता त्याग दें

भगवान श्री कृष्ण गीता में बताते हैं कि धरती पर हर एक मनुष्य को अपने कर्मों के अनुरूप ही फल प्राप्त होता है। इसलिए उन्हें केवल अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। इसलिए जो व्यक्ति अच्छे कर्मों में लिप्त रहता है, भगवान उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। साथ ही जिसे बुरे कर्मों में आनंद आता है, उसे उसी प्रकार का जीवन दंड के रूप में भोगना पड़ता है।

इन्द्रियों को नियंत्रित करें

गीता में बताया गया है कि मनुष्य की इन्द्रियां बहुत चंचल स्वभाव की होती हैं। वह आसानी से गलत आदतों को अपना लेती हैं, जिस वजह से व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए उसे अपने इन्द्रियों पर और खासकर अपने चित्त अर्थात मन पर विशेष नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि चंचल मन के कारण कई प्रकार के बुरे कर्मों में लिप्त होने का खतरा बढ़ जाता है।

क्रोध पर रखें काबू

श्री कृष्ण ने धनुर्धर अर्जुन को महाभारत के युद्धभूमि में बताया था कि व्यक्ति के लिए क्रोध विष के समान है। वह न केवल शत्रुओं की संख्या बढ़ाता है, बल्कि इससे मानसिक तनाव में भी वृद्धि होती है। इसके साथ गीता में बताया गया है कि क्रोध से भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न होती है, जिससे चिंतन शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए अपने क्रोध पर काबू रखना ही व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा उपाय है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।