Gita Jayanti 2023: जानिए क्या है गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बताया गया कर्मयोग
Gita Jayanti 2023 Date युद्धभूमि में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता उपदेश सबसे उत्कृष्ट ज्ञान माना गया है। गीता के उपदेश आज भी लोगों को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं। ऐसे में इसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। मार्गशीर्ष माह में मनाई जाने वाली गीता जयंती को श्रीमद भगवद गीता के जन्म का प्रतीक माना जाता है।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 19 Dec 2023 11:32 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhagavad Gita Updesh: प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने युद्धभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
वर्ष 2023 में गीता जयंती 22 दिसंबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। इस बार गीता जयंती की 5160 वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बताया गया कर्मयोग क्या है।
जब अर्जुन ने किया प्रश्न
किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः।तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥उपरोक्त श्लोक में अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से पूछता है कि आखिर कर्म क्या है और अकर्म क्या है? इस विषय में बड़े-बड़े ज्ञानी भी मोहित हो जाते हैं। तब इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि -
कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः।
स बुद्धिमान् मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत्।।अर्थात जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखता है और जो अकर्म में कर्म देखता है, वह सभी मनुष्यों में बुद्धिमान है, योगी है और सम्पूर्ण कर्मों को करनेवाला है। आगे भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को कर्म, अकर्म और विकर्म तीनों का तत्त्व भी जानना चाहिए, क्योंकि कर्म की गति गहन है।