Lord Ram: भगवान श्रीराम की कुंडली में कैसी थी ग्रहों की स्थिति, जिस कारण जीवन में आई दिक्कतें
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में कुछ ऐसे दोष होते हैं जो उसके जीवन को भी प्रभावित कर सकते हैं। श्रीराम भगवान विष्णु के मानव अवतार थे इसलिए इस रूप में उन्हें शुभ-अशुभ ग्रहों के परिणाम भी झेलने पड़े। ऐसे में चलिए जानते हैं कि भगवान श्रीराम की कुंडली में कौन-से दोष थे जिस कारण उन्हें भी जीवन में तकलीफों का सामना करना पड़ा था।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान राम अयोध्या के राजा थे और उनका विवाह मिथिला की राजकुमारी सीता से हुआ था। लेकिन इसके बाद भी उन्हें अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीराम की कुंडली में ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार थी कि उन्हें अपने जीवन में विवाह से लेकर राजपाट तक, कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। चलिए जानते हैं इस विषय में।
इस प्रकार थी राम जी की कुंडली
नौमी तिथि मधुमास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥
रामचरितमानस के बालकांड में वर्णित इस दोहे में भगवान श्रीराम के जन्म का समय बताया गया है। जिसके अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन कर्क लग्न में अभिजीत मुहूर्त में हुआ था। राम जी की जन्म कुंडली में कई तरह के शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं, जिसका प्रभाव उनके जीवन पर भी पड़ा।
इस कारण आईं दिक्कतें
राम जी की जन्म कुंडली में उच्च का मंगल सप्तम भाव में है, जो मांगलिक दोष को दर्शाता है। इसी कारण उन्हें वैवाहिक जीवन में कई तरह की दिक्कतों जैसे विरह आदि का भी सामना करना पड़ा था। वहीं कई ज्योतिष यह भी मानते हैं कि नीच गुरु होने के चलते ही भगवान श्रीराम को सीता जी से वियोग मिला था।
वहीं प्रभु श्रीराम की कुंडली में शनि ग्रह मातृ भाव में बैठे हैं और पितृ भाव में सूर्य देव विराजमान हैं। मान्यताओं के अनुसार सूर्य और शनि देव के संबंध मधुर नहीं माने जाते। इसलिए भगवान श्रीराम को अपने माता-पिता से वियोग का सामना करना पड़ा था।यह भी पढ़ें - Lord Ram Puja vidhi: रोजाना भगवान राम की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन होगा मंगलमय