Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

God Ram Kundali: इस नक्षत्र में जन्मे लोगों में होते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जैसे गुण

God Ram Kundali वाल्मीकि रामायण से भगवान श्रीराम के जन्म समय मुहूर्त नक्षत्र और राशि की जानकारी प्राप्त होती है। इस श्लोक की मानें तो भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों में भगवान श्रीराम जैसे गुण देखने को मिलते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 18 Jan 2024 02:36 PM (IST)
Hero Image
God Ram Kundali: इस नक्षत्र में जन्मे लोगों में होते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जैसे गुण

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। God Ram Kundali: सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। ज्योतिष कुंडली देखकर व्यक्ति विशेष की भविष्यवाणी करते हैं। इससे रोजगार, कारोबार, प्रेम, विवाह, स्वास्थ्य समेत सभी प्रकार की जानकारी मिल जाती है। कुंडली में शुभ ग्रहों के मजबूत होने पर जातक अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। समय के साथ जातक के पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। वहीं, शुभ ग्रहों के कमजोर होने पर जातक को अपने जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में 27 नक्षत्र हैं। इन नक्षत्रों के अनुसार जातक का भविष्य निर्धारित होता है। इसके अलावा, महादशा, योग एवं ग्रहों का भी विचार किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान श्रीराम का जन्म किस नक्षत्र में हुआ था ? इस नक्षत्र में जन्मे जातकों में क्या गुण होते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

यह भी पढ़ें: रामलला प्राण प्रतिष्ठा तिथि पर दुर्लभ 'इंद्र' योग समेत बन रहे हैं ये 7 अद्भुत संयोग

जन्म नक्षत्र

ततो य्रूो समाप्ते तु ऋतुना षट् समत्युय:।

ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ॥

नक्षत्रेsदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पंचसु।

ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥

प्रोद्यमाने जनन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम् ।

कौसल्याजयद् रामं दिव्यलक्षसंयुतम् ॥

वाल्मीकि रामायण से भगवान श्रीराम के जन्म समय, मुहूर्त, नक्षत्र और राशि की जानकारी प्राप्त होती है। इस श्लोक की मानें तो भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। अर्थात भगवान श्रीराम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था।

ज्योतिषियों की मानें तो पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातकों को ईश्वर में अगाध श्रद्धा होती है। बाल्यावस्था (बचपन) से पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे लोगों का व्यवहार बेहद सौम्य और सुशील होता है। बढ़ती उम्र के साथ लोग इन्हें कम पसंद करने लगते हैं। भौतिक सुखों से इन्हें विरक्ति रहती है। ईश्वर प्रदत चीजों में ये संतुष्ट रहते हैं। ये अधर्म पथ पर चलना पसंद नहीं करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे लोग विशाल ह्रदय वाले होते हैं। साथ ही इनमें भगवान श्रीराम जैसे गुण देखने को मिलते हैं।

यह भी पढ़ें: Ram Mandir Pran Pratishtha: क्या होती है प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा, जानें इसका धार्मिक महत्व

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'