Goddess Kalratri: देवी पार्वती ने क्यों लिया था मां काली का रूप? जानिए इसके पीछे का पौराणिक रहस्य
माता काली (Goddess Kalratri Puja) की पूजा बेहद शुभ और कल्याणकारी मानी गई है। शुंभ और निशुंभ राक्षसों का वध करने के लिए देवी पार्वती ने यह उग्र रूप धारण किया था। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त देवी काली की पूजा सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं उन्हें गुप्त शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में आने वाली मुश्किलों का नाश होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Goddess Kalratri: हिंदू धर्म में नवरात्र के पर्व का विशेष महत्व है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा विधि-विधान के साथ होती है। इस साल नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल, 2024 से हो रही है। दुनिया भर में इन नौ दिनों तक चलने वाले उत्सव को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आदिशक्ति के नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है।
यह पर्व मां दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। ऐसे में जब नवरात्र इतना करीब है, तो मां पार्वती के चमत्कारी काली रूप की उत्पत्ति कैसे हुई इसके बारे में जानते हैं -
देवी पार्वती ने क्यों लिया था मां काली का रूप?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने शुंभ और निशुंभ राक्षसों को मारने के लिए देवी कालरात्रि का रूप धारण किया था। वे देवी पार्वती का सबसे उग्र रूप हैं। मां कालरात्रि का रंग सांवला है और वो गधे की सवारी करती हैं। इसके साथ ही उन्हें चार हाथों से दर्शाया गया है - उनके दाहिने हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं, और उनके बाएं हाथ में तलवार और घातक लोहे का हुक है।
ऐसा माना जाता है कि जितना ही मां का यह रूप विकराल है उतना ही उनका हृदय करुणा से भरा हुआ है। वे अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं।
ऐसे करें मां काली को प्रसन्न
पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ सुबह उठें। ब्रह्म मुहूर्त में सुबह स्नान करें। इसके बाद पूजा की शुरुआत करें। एक वेदी पर मां की प्रतिमा स्थापित करें। देवी काली के समक्ष घी का दीपक जलाएं और फिर गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें।
देवी के भोग में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, गुड़ अवश्य शामिल करें। मां की भाव के साथ आरती करें। साथ ही अपनी प्रार्थना को देवी के सामने बोलें।यह भी पढ़ें: Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी का व्रत दिलाएगा सभी पापों से मुक्ति, जानें क्यों है इतना महत्वपूर्ण ?
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