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Gopashtami 2024: गोपाष्टमी पर जरूर करें भगवान कृष्ण को मंत्रमुग्ध करने वाली आरती, होगा कल्याण

सनातन धर्म में गोपाष्टमी (Gopashtami 2024) पर्व को बहुत ही शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की पूजा (Gopashtami 2024) होती है। इस मौके पर कान्हा जी की आरती जरूर करनी चाहिए तो आइए पढ़ते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 08 Nov 2024 08:00 PM (IST)
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Gopashtami 2024: श्रीकृष्ण की ऐसे करें आरती।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गोपाष्टमी पर्व को बेहद विशेष माना जाता है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त श्रीकृष्ण और गौ माता की पूजा करते हैं। इस साल गोपाष्टमी (Gopashtami 2024) 09 नवंबर यानी कल मनाई जाएगी। इस मौके पर यदि आप मुरलीधर की विशेष कृपा चाहते हैं, तो आपको इस शुभ दिन पर गौ माता की सेवा करने के साथ श्रीकृष्ण की आरती का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे कान्हा प्रसन्न होते हैं, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

।।श्रीकृष्ण की आरती।। (Krishna Bhagwan Ki Aarti)

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला

श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली

लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।

गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।

अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।

स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।

जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।

टेर सुन दीन दुखारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

।। हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी।।(Hey Gopal Krishna Karu Aarti Teri)

हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,

हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी,

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं,

सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ,

प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी,

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,

हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी ।

ये माटी का कण है तेरा,

मन और प्राण भी तेरे,

मैं एक गोपी, तुम हो कन्हैया,

तुम हो भगवन मेरे,

हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,

हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी ।

ओ कान्हा तेरा रूप अनुपम,

मन को हरता जाए,

मन ये चाहे हर पल अंखिया,

तेरा दर्शन पाये,

दर्श तेरा, प्रेम तेरा, आस है मेरी,

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,

हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी ।

हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,

हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी,

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं,

सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ,

प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी,

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,

हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी ।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।