Govardhan Puja 2023: इस विधि से करें गोवर्धन पूजा, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त
Govardhan Puja 2023 सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का बेहद धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ गौ माता और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत होता है। अगर आप लंबे समय से परेशान हैं तो इस दिन कान्हा की पूजा विधि अनुसार करें।
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 03 Nov 2023 10:10 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पर्व हर कृष्ण भक्त के लिए बेहद खास होता है, जिसका इंतजार लोग पूरे साल बेसब्री के साथ करते हैं। यह हर साल दीपावाली (Diwalin2023) के अगले दिन बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ऐसे में जब यह त्योहार बेहद नजदीक है, तो लोगों को इससे जुड़ी जानकारी जानना काफी जरूरी है।
इस शुभ दिन गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parbat) और गौ माता की पूजा का भी विधान है। मान्यताओं अनुसार, साधक इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं। इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग अर्पित करते हैं।
गोवर्धन पूजा समय
गोवर्धन पूजा - मंगलवार, 14 नवंबर 2023गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त- 06:43 से 08:52 तक
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 13 नवंबर 2023 को 14:56 बजे सेप्रतिपदा तिथि समापन – 14 नवंबर 2023 को 14:36 बजे तकगोवर्धन पूजा महत्वसनातन धर्म में इस त्योहार का बेहद धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गौ माता की पूजा करते हैं। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन, भक्तों को गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पसंदीदा गायों की पूजा करने पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देवता के प्रकोप से वृन्दावन के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था, जिसके बाद से लोगों ने इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा के साथ-साथ भगवान कृष्ण की पूजा आरंभ कर दी। साथ ही कान्हा को 'गोवर्धनधारी' और 'गिरिरधारी' नाम से संबोधित किया गया।गोवर्धन पूजा विधि
- भक्त ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।
- मंदिर की सफाई करें।
- अपने घर के मंदिर में दीया जलाएं
- गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं और विधि अनुसार पूजा करें।
- साथ ही इस दिन छप्पन भोग बनाकर गोवर्धन मूर्ति को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
- मंत्र गाते हुए गोवर्धन मूर्ति की परिक्रमा करें।
- अंत में गोवर्धन आरती के साथ पूजा का समापन करें।