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Govardhan Puja 2024: 1 या 2 नवंबर, कब है गोवर्धन पूजा? जानें क्या है सही डेट

देशभर में गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2024 Date) का विशेष महत्व है। इस पर्व को दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है। इस खास अवसर पर गोवर्धन पर्वत और जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि उपासना करने से जीवन के सभी दुखों का अंत होता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 15 Oct 2024 12:51 PM (IST)
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Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा के दिन होती है भगवान श्रीकृष्ण की पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म के लोग दिवाली (Diwali 2024) के पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह उत्सव पांच दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत धनतरेस से होती है और समापन भाई दूज के दिन होता है। गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही 56 तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि उपासना करने से साधक को जीवन के समस्त दुख और संताप से मुक्ति मिलती है। इस बार गोवर्धन पूजा की डेट को लेकर लोग बहुत कंफ्यूज हो रहे हैं। कुछ लोग गोवर्धन पूजा 01 नवंबर की बता रहे हैं। वहीं कुछ लोग यह पर्व 02 नवंबर को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2024 Date) की सही तारीख क्या है और जानेंगे कि इस पर्व को मनाने की शुरुआत कैसे हुई?

गोवर्धन पूजा 2024 डेट और टाइम

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (Govardhan Puja Time) की शुरुआत 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में गोवर्धन पूजा का त्योहार 02 नवंबर (Kab Hai Govardhan Puja 2024) को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-  

गोवर्धन पूजा 2024 शुभ मुहूर्त

प्रातःकाल मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 34 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट तक।

संध्याकाल मुहूर्त - दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक।

त्रिपुष्कर योग- रात्रि  08 बजकर 21 मिनट तक 3 नवंबर को सुबह 05 बजकर 58 मिनट तक।

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ऐसी हुई गोवर्धन पूजा की शुरुआत

पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान कृष्ण ने इंद्र देवता के प्रकोप से बचाव के लिए गोवर्धन पर्वत (Govardhan Puja Significance) को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। इससे ब्रजवासियों का इंद्र देवता के प्रभाव से बचाव हुआ। इसी दिन से लोगों ने गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने की शुरुआत की।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।