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Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा के दिन श्रीकृष्ण को लगाएं ये 56 भोग, करें इस चालीसा का पाठ

गोवर्धन पूजा का त्योहार बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह दिन इंद्र देव पर भगवान कृष्ण की जीत का प्रतीक माना जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि जो साधक इस दिन (Govardhan Puja 2024) कान्हा जी की पूजा करते हैं उन्हें कभी धन और दौलत की कमी नहीं रहती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 01 Nov 2024 03:37 PM (IST)
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Govardhan Puja 2024:कान्हा जी को अर्पित करें ये छप्पन भोग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का खास महत्व है। यह पांच दिवसीय दीपोत्सव या रोशनी के त्योहार में से एक है, जो दीवाली के बाद आता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर, 2024 दिन शनिवार को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, उन्हें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है, तो आइए इस दिन (Govardhan Puja 2024) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

कान्हा जी को अर्पित करें ये छप्पन भोग (56 Bhog List)

56 भोग की लिस्ट में पंजीरी, माखन-मिश्री, खीर, रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, जीरा-लड्डू, मालपुआ, मोहनभोग, मूंग दाल हलवा, घेवर, पेड़ा, काजू-बादाम बर्फी, पिस्ता बर्फी, पंचामृत, गोघृत, शक्कर पारा, मठरी, चटनी, मुरब्बा, आम, केला, अंगूर, सेब, आलूबुखारा, किशमिश, पकौड़े, साग, दही, चावल, कढ़ी, चीला, पापड़, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी,

दूधी की सब्जी, पूड़ी, टिक्की, दलिया, देसी घी, शहद, सफेद-मक्खन, ताजी क्रीम, कचौरी, रोटी, नारियल पानी, बादाम का दूध, छाछ, शिकंजी, चना, मीठे चावल, भुजिया, सुपारी, सौंफ, पान और मेवा आदि चीजें शामिल हैं। भगवान कृष्ण को इन्हें अर्पित करके आप उनकी पूर्ण कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

।।श्री गिरिराज चालीसा।। (Shri Giriraj Chalisa)

बंदहु वीणा वादिनी, धर गणपति कौ ध्यान ।

महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ।।

सुमिरन कर सब देवगण, गुरु-पितु बारम्बार ।

वरणों श्री गिरिराज यश, निज मति के अनुसार ।।

जय हो जग बंदित गिरिराजा ।

ब्रज मण्डल के श्री महाराजा ।।

विष्णु रूप तुम हो अवतारी ।

सुन्दरता पर जग बलिहारी ।।

स्वर्ण शिखर अति शोभा पावें ।

सुर-मुनिगण दरशन कुं आवें ।।

शांत कंदरा स्वर्ग समाना ।

जहां तपस्वी धरते ध्याना ।।

द्रोणागिरि के तुम युवराजा ।

भक्तन के साधौ हौ काजा ।।

मुनि पुलस्त्य जी के मन भाये ।

जोर विनय कर तुम कूं लाये ।।

मुनिवर संग जब ब्रज में आये ।

लखि ब्रजभूमि यहां ठहराये ।।

बिष्णु-धाम गौलोक सुहावन ।

पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja Shubh Muhurat 2024) का पर्व 02 नवंबर (Kab Hai Govardhan Puja 2024) को मनाया जाएगा। वहीं, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 34 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

यमुना गोवर्धन वृन्दावन ।।

देव देखि मन में ललचाये ।

बास करन बहु रूप बनाये ।।

कोउ वानर कोंउ मृग के रूपा ।

कोउ वृक्ष कोउ लता स्वरूपा ।।

आनंद लें गोलोक धाम के ।

परम उपासक रूप नाम के ।।

द्वापर अंत भये अवतारी ।

कृष्णचन्द्र आनंद मुरारी ।।

महिमा तुम्हरी कृष्ण बखानी ।

पूजा करिबे की मन ठानी ।।

ब्रजवासी सब लिये बुलाई ।

गोवर्धन पूजा करवाई ।।

पूजन कूं व्यंजन बनवाये ।

ब्रज-वासी घर घर तें लाये ।।

ग्वाल-बाल मिलि पूजा कीनी ।

सहस्त्र भुजा तुमने कर लीनी ।।

स्वयं प्रकट हो कृष्ण पुजावें ।

माँग-माँग के भोजन पावें ।।

लखि नर-नारी मन हरषावें ।

जै जै जै गिरवर गुण गावें ।।

देवराज मन में रिसियाए ।

नष्ट करन ब्रज मेघ बुलाए ।।

छाया कर ब्रज लियौ बचाई ।

एकऊ बूँद न नीचे आई ।।

सात दिवस भई बरखा भारी ।

थके मेघ भारी जल-धारी ।।

कृष्णचन्द्र ने नख पै धारे ।

नमो नमो ब्रज के रखवारे ।।

कर अभिमान थके सुरराई ।

क्षमा मांग पुनि अस्तुति गाई ।।

त्राहिमाम मैं शरण तिहारी ।

क्षमा करौ प्रभु चूक हमारी ।।

बार-बार बिनती अति कीनी ।

सात कोस परिकम्मा दीनी ।।

सँग सुरभी ऐरावत लाये ।

हाथ जोड़ कर भेंट गहाये ।।

अभयदान पा इन्द्र सिहाये ।

करि प्रणाम निज लोक सिधाये ।।

जो यह कथा सुनें, चित लावें ।

अन्त समय सुरपति पद पावें ।।

गोवर्धन है नाम तिहारौ ।

करते भक्तन कौ निस्तारौ ।।

जो नर तुम्हरे दर्शन पावें ।

तिनके दु:ख दूर ह्वै जावें ।।

कुण्डन में जो करें आचमन ।

धन्य-धन्य वह मानव जीवन ।।

मानसी गंगा में जो नहावें ।

सीधे स्वर्ग लोक कूं जावें ।।

दूध चढ़ा जो भोग लगावें ।

आधि व्याधि तेहि पास न आवें ।।

जल, फल, तुलसी-पत्र चढ़ावें ।

मनवांछित फल निश्चय पावें ।।

जो नर देत दूध की धारा ।

भरौ रहै ताकौ भंडारा ।।

करें जागरण जो नर कोई ।

दु:ख-दारिद्रय-भय ताहि न होई ।।

श्याम शिलामय निज जन त्राता ।

भुक्ति-मुक्ति सरबस के दाता ।।

पुत्रहीन जो तुमकूं ध्यावै ।

ताकूं पुत्र-प्राप्ति ह्वै जावै ।।

दंडौती परिकम्मा करहीं ।

ते सहजही भवसागर तरहीं ।।

कलि में तुम सम देव न दूजा ।

सुर नर मुनि सब करते पूजा ।।

।।दोहा।।

जो यह चालीसा पढ़े, सुनें शुद्ध चित्त लाय ।

सत्य सत्य यह सत्य है, गिरवर करें सहाय ।।

क्षमा करहुँ अपराध मम, त्राहिमाम गिरिराज ।

देवकीनन्दन शरण में, गोवर्धन महाराज ।।

।। श्री गिरिराज चालीसा सम्पूर्ण ।।

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