Guru Nanak Dev Death Anniversary 2022 गुरु नानक देव जी एक महान दार्शनिक थे जिन्होंने मनुष्य को सही मार्ग दिखाने का और समाज से कुरीतियों को मिटाने का कार्य किया था। 22 सितंबर 2022 सुखों के पहले गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि है।
By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Tue, 20 Sep 2022 12:38 PM (IST)
नई दिल्ली, Guru Nanak Dev Death Anniversary 2022: हर साल सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि 22 सितंबर को मनाई जाती है। इस दिन प्रत्येक गुरुद्वारों में गुरुवाणी का पाठ किया जाता है और जगह-जगह पर लंगर का आयोजन किया जाता है। 22 सितंबर 1539 (Guru Nanak Dev Death Anniversary 2022 Ji) के दिन गुरु नानक देव जी ने करतारपुर में अंतिम सांस ली थी।
बता दें कि गुरु नानक देव समाज में बढ़ रही कुरीतियों को देखकर आहत थे और उनको बदलना चाहते थे। वह एक दार्शनिक थे जिसके कारण उन्होंने यह भांप लिया था कि यह कुरीतियां न केवल समाज को खोखला कर रही हैं बल्कि इससे मनुष्य पतन ओर जा रहा है। इसलिए बाबा नानक ने समाज को नई दिशा दिखाने का कार्य किया। आइए जानते हैं क्या सिख धर्म के प्रमुख सिद्धांत।
सिख धर्म के हैं ये प्रमुख सिद्धांत (Principles of Guru Nanak Dev)
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गुरु नानक देवा बताते हैं कि संसार में हर स्थान पर भगवान मौजूद है। वह हर जीव के अंदर वास करता है।
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बाबा नानक के अनुसार जो भी व्यक्ति भगवन की भक्ति में लीन रहता है उसे किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता है।
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जीवन में व्यक्ति को हमेशा ईमादारी से और मेहनत करके अपना सम्पूर्ण जीवन बिताना चाहिए। ऐसा करने से वह किसी भी क्षेत्र में सफल बन सकता है।
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नानक शाह बताते हैं कि किसी भी व्यक्ति को बुरे कर्म करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए और ना ही किसी असहाय को किसी भी कारण से सताना चाहिए।
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गुरु नानक आगे बताते हैं कि जीवन में मनुष्य को हमेशा खुश रहना चाहिए। इससे आसपास के लोगों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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गलती से या जानबूझकर की गई गलती के लिए हमेशा ईश्वर से क्षमा मांगनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अंत में उन्हीं के सामने सबने हाजरी लगानी है।
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जो व्यक्ति मेहनत करता है और ईमानदारी से अपने सभी काम करता है उसे अपनी कमाई का कुछ अंश जरूरतमंद लोगों को देना चाहिए। ऐसा करने से आप पुण्य के भागीदार होते हैं।
कहां हुआ था गुरु नानक देव जी का जन्म
बाबा नानक का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। यह जगह रावी नदी के किनारे बसा हुआ था। आज इस स्थान को ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। बचपन में नानक देव जी के साथ कई चमत्कारी घटनाएं घटित हुईं जिसने उनको अध्यात्म की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। बचपन से ही नानक देव जी धार्मिक प्रवृति के बालक थे और आगे चलकर वे सिख समाज के पहले गुरु बनें।
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