Guru Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत की पूजा थाली में शामिल करें ये चीजें, होगा सभी दुखों का निवारण
शिव पूजा के लिए प्रदोष व्रत को सबसे शुभ माना जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत आते हैं। इस माह यह पर्व 18 जुलाई को रखा जाएगा जो इस माह का आखिरी प्रदोष व्रत है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार का प्रदोष व्रत बेहद शुभ है जिसमें पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को सबसे कल्याणकारी माना जाता है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह शुभ दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस माह यह पर्व (Guru Pradosh Vrat 2024) 18 जुलाई को मनाया जाएगा, जिसे बेहद शुभ माना जा रहा है, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -
शिव पूजा मुहूर्त
रात्रि 8 बजकर 44 मिनट से रात्रि 9 बजकर 23 मिनट तक।
।। प्रदोष व्रत सामग्री लिस्ट।।
- लाल या पीला गुलाल
- दूध
- पवित्र जल
- गंगाजल
- शहद
- अक्षत
- कलावा
- चिराग
- फल, फूल, सफेद मिठाई
- कनेर का फूल
- आसन
- सफेद चंदन
- भांग
- धतूरा
- बेल पत्र
- धागा
- कपूर
- धूपबत्ती
- घी
- नया वस्त्र
- पंचमेवा
- प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक
- शिव चालीसा
- शंख
- घंटा
- हवन सामग्री
प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
प्रदोष व्रत मुख्य रूप से भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही इस व्रत के प्रभाव से ग्रह दोष भी समाप्त होता है। अगर आप भोलेनाथ की कृपा पाने की कामना रखते हैं, तो आपको यह व्रत जरूर रखना चाहिए।
गुरु प्रदोष तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को शाम 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 19 जुलाई को शाम 07 बजकर 41 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर इस बार प्रदोष व्रत 18 जुलाई को रखा जाएगा।
इस मंत्र का जाप करते हुए शिव जी को चढ़ाएं जल
1. मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
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