Move to Jagran APP

Guru Purnima 2024: जुलाई महीने में कब मनाई जाएगी व्यास जयंती? जानें शुभ मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व

धार्मिक मत है कि गुरु की पूजा और सेवा करने से अल्प समय में व्यक्ति अपने जीवन में उंचा मुकाम हासिल करता है। साथ ही उन्नति और तरक्की के मार्ग पर अग्रसर रहता है। ज्योतिष भी कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए देव गुरुओं की पूजा करने की सलाह देते हैं। गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास की विशेष पूजा की जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 24 Jun 2024 04:31 PM (IST)
Hero Image
Guru Purnima 2024: जुलाई महीने में कब है गुरु पूर्णिमा?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Purnima 2024: सनातन धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा महर्षि वेद व्यास को समर्पित होता है। इस दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। अतः हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा पर वेद व्यास जयंती भी मनाई जाती है। इस उपलक्ष्य पर देशभर में महर्षि वेद व्यास की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही लोग अपने गुरुओं की भी पूजा करते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि गुरु के बिना ज्ञान का अर्जन नहीं होता है। गुरु अपने शिष्य के जीवन में व्याप्त समस्त अंधेरे को दूर करते हैं। साथ ही जीवन में सही राह दिखाते हैं। गुरु के वचनों का अनुसरण कर व्यक्ति या शिष्य अपने जीवन में बहुत जल्द सफल हो जाता है। अतः गुरु की सेवा और पूजा हमेशा करनी चाहिए। आइए, गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

यह भी पढ़ें: कब और कैसे हुई धन की देवी की उत्पत्ति? जानें इससे जुड़ी कथा एवं महत्व


गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 21 जुलाई को संध्याकाल 3 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा या आषाढ़ पूर्णिमा या व्यास जयंती मनाई जाएगी।

पूजा विधि

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें। इस समय जगत के नाथ भगवान विष्णु और महर्षि वेद व्यास जी को प्रणाम करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें और नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब अंजलि यानी हथेली में सामान्य जल लेकर आचमन करें और पीले रंग के कपड़े पहनें। इस समय सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य निम्न मंत्र से दें।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः

गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः

तदोपरांत, पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु और वेद व्यास जी की पूजा करें। इस समय भगवान विष्णु और व्यास जी को फल, फूल, दूर्वा, हल्दी आदि चीजें अर्पित करें। धूप एवं दीप दिखाकर आरती करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और आरती करें। आरती के बाद गुरु से सुख-सौभाग्य, यश और कीर्ति में वृद्धि की कामना करें। इसके बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें। साथ ही अपने गुरुजन को भोजन कराएं। इस समय अपने गुरु को दंडवत प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी?

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।