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Guru Ravidas Jayanti 2024: कब है गुरु रविदास जयंती? समाज की उन्नति के लिए दिए ये बड़े योगदान

गुरु रविदास संत एक महान कवि होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में समाज में फैली कई बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समाज की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान भी दिए हैं जो सराहनीय हैं। यही कारण है कि हर साल गुरु रविदास जयंती को बडे़ ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 22 Feb 2024 01:16 PM (IST)
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Guru Ravidas Jayanti 2024 कब है गुरु रविदास जयंती?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Ravidas Jayanti 2024 Date: 15वीं शताब्दी में रविदास जी द्वारा लिखे गए दोहे आज भी लोगों को प्रेरणा देने का काम करते हैं। संत रविदास जी ने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। भक्ति और ज्ञान के लिए ही उनका जीवन समर्पित रहा है। ऐसे में उनके जन्मदिवस के अवसर पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कब हुआ था जन्म

माना जाता है कि रविदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ। संत रविदास के जन्म को लेकर कई मत हैं। लेकिन उनके जन्म को लेकर एक दोहा प्रचलित है जो इस प्रकार है - चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास

इस दोहे के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास का जन्म हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष इसी तिथि पर गुरु रविदास जयंती मनाई जाती है। ऐसे में 24 फरवरी, 2024 को गुरु रविदास जी की 647वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।

ये हैं महत्वपूर्ण योगदान

रविदास जी द्वारा 15 वीं शताब्दी में चलाया गया भक्ति आंदोलन उस समय का एक बड़ा आध्यात्मिक आंदोलन साबित हुआ। इस आंदोलन ने समाज में कई बड़े बदलाव लाने का काम किया। उन्होंने अपने जीवन में कई गीत, दोहे और भजनों की रचना की जो मानव जाति को आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता और एकता का संदेश देने का काम करते हैं।

इन्होंने समाज से जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक असमानता के भाव को हटाकर भाईचारे और सहिष्णुता का भाव अपनाने के संदेश दिया। गुरु रविदास जी ने शिक्षा के विशेष जोर दिया। प्रसिद्ध संत मीराबाई भी रविदास जी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानती थीं।

इस धर्म के लोग भी रखते हैं आस्था

सिर्फ हिंदू धर्म के ही नहीं, बल्कि सिख धर्म को मानने वाले लोग भी गुरु रविदास के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं। इस बात का पता इसी से लगाया जा सकता है कि रविदास जी की 41 कविताओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ यानी गुरुग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'