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Hanuman Janmotsav 2023: जानें, क्यों भगवान श्रीराम ने अपने परम भक्त हनुमान पर चलाया था ब्रह्मास्त्र?

Hanuman Janmotsav 2023 धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान राम के अनन्य और परम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ है। इस मौके पर देशभर में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में हनुमान जी द्वारा भगवान राम की सेवा और श्रद्धा का संपूर्ण वर्णन है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 06 Apr 2023 01:59 PM (IST)
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Hanuman Janmotsav 2023: जानें, क्यों भगवान श्रीराम ने अपने परम भक्त हनुमान पर चलाया था ब्रह्मास्त्र?
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Hanuman Janmotsav 2023: आज हनुमान जन्मोत्सव है। यह पर्व हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान राम के अनन्य और परम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ है। इस मौके पर देशभर में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। सनातन शास्त्रों समेत तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में हनुमान जी द्वारा भगवान राम की सेवा और श्रद्धा का संपूर्ण वर्णन है। कहते हैं कि दुनिया राम जी के बिना नहीं चलती है। वहीं, राम जी अपने परम और अनन्य भक्त हनुमान जी के बिना नहीं चलते हैं। त्रेता युग में एक समय ऐसा भी आया। जब भगवान राम अपने परम सेवक और भक्त हनुमान पर ब्रह्मास्त्र चलाने के लिए बाध्य हो गए थे।

आइए कथा जानते हैं-

कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में एक बार रामजी की सभा में नारद जी, वशिष्ठ विश्वामित्र समेत कई अन्य ऋषि मुनि उपस्थित थे। इस सभा में 'राम और राम नाम में बड़ा कौन है' इस विषय पर चर्चा हो रही थी। सभी लोगों ने अपनी -अपनी राय रखी।

इस चर्चा में सभी ने राम को शक्तिशाली बताया। हालांकि, नारद जी सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा कि भगवान राम से बड़ा उनका नाम है। इस बात को प्रमाणित करने की भी उन्होंने बात की। ऋषि मुनियों ने उन्हें सिद्ध करने के लिए कहा। इस पर नारद जी ने कहा-कुछ दिनों का समय दें। भगवान राम ने भी आज्ञा दे दी।

सभा समाप्त होने के बाद नारद जी बातचीत करने हनुमान जी के पास पहुंचे। उस समय उन्होंने हनुमान जी से सबको प्रणाम करने की सलाह दी, लेकिन वशिष्ठ विश्वामित्र को प्रणाम नहीं करने के लिए कहा। हनुमान जी ने कहा-वशिष्ठ विश्वामित्र तो मेरे स्वामी के भी गुरु हैं, तो उन्हें आप प्रणाम करने के लिए क्यों नहीं कह रहे हैं ? तब नारद जी ने कहा-वे क्षत्रिय राजा हैं। राजाओं को सभा में प्रणाम किया जाता है।

उस समय हनुमान जी ने नारद जी की बात मान ली। इसके बाद हनुमान जी सभा में उपस्थित सभी लोगों को प्रणाम किया, लेकिन वशिष्ठ विश्वामित्र को प्रणाम नहीं किया। यह देख वशिष्ठ विश्वामित्र क्रोधित हो उठे।

आगे चलकर वशिष्ठ विश्वामित्र रामजी से परम भक्त के लिए मृत्यु दंड का वचन ले लिया। जब यह सूचना हनुमान जी को प्राप्त हुई, तो उन्होंने नारद जी से उपाय पूछा। उस समय नारद जी ने हनुमान जी को राम नाम जपने की सलाह दी। कालांतर में जब हनुमान जी पर राम जी ने बाण चलाया, तो बाण से हनुमान जी को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र चलाया। इससे भी हनुमान जी को कोई चोट नहीं पहुंची।

तब नारद जी ने भगवान राम से कहा-प्रभु! राम नाम जप का प्रभाव है। हनुमान जी का बाल भी बांका नहीं होगा। उस समय राम जी को भी अनुभूति हुई कि सत्य है कि राम नाम में अतुलनीय बल है।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '