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Hanuman Janmotsav 2024: ऐसे करें हनुमान जी के बाल रूप की पूजा, मिलेगा अभय वरदान

हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2024) का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जात है। यह दिन हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है। हनुमान जयंती चैत्र मास के दौरान शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान हनुमान के बाल रूप की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है तो आइए पूजा नियम के बारे में जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 21 Apr 2024 11:46 AM (IST)
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Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जी के बाल रूप की पूजा विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती का दिन बेहद पवित्र माना जाता है। इसे हनुमत जयंती, हनुमान जन्मोत्सव, आंजनेय जयंती और बजरंगबली जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है। हनुमान जयंती चैत्र मास के दौरान शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान हनुमान के बाल रूप की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

हनुमान जयंती 2024 तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर होगी। इसके साथ ही इसका समापन 24 अप्रैल, 2024 दिन बुधवार सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदया​तिथि को देखते हुए इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी।

हनुमान जी के बाल रूप की पूजा विधि

  • साधक इस दिन सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
  • भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • एक चौकी पर हनुमान जी के बाल रूप की प्रतिमा स्थापित करें।
  • हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें।
  • इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
  • तुलसी व गुलाब के फूलों की माला चढ़ाएं।
  • पीपल के 11 पत्तों पर चंदन व कुमकुम से श्री राम लिखकर चढ़ाएं।
  • गुड़, लड्डू आदि का भोग लगाएं।
  • सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ भाव के साथ करें।
  • आरती से पूजा को समाप्त करें।
  • पूजा के बाद शंखनाद करें।
  • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

हनुमान जी पूजन मंत्र

  • मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।

    वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

  • ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
  • ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय

    प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।